नई दिल्ली। देश में भेड़ों के नस्ल सुधार कर मांस , ऊन और दूध उत्पादन बढाने के लिए आस्ट्रेलिया से उन्नत नस्ल की मेरिनो भेड़ का आयात किया जायेगा। देश में पिछले कुछ वर्षो से ऊन के उत्पादन में आ रहे उतार चढाव को ध्यान में रखते हुए भेड़ नस्ल सुधार कार्यक्रम को मांस , ऊन और दूध उत्पादन बढाने के उद्देश्य से कार्यान्वित किया जा रहा है। जम्मू कश्मीर , हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पाये जाने वाली भेड़ों में नस्ल सुधार कर उत्पादकता बढाने के लिए बहुद्देशीय मेरिनों भेड़ जैसे सर्वश्रेष्ठ जर्मप्लाज्म के आयात का निर्णय किया गया है । इस संबंध में नये पशु चिकित्सा स्वास्थ्य प्रोटोकॉल को अंतिम रुप दिया जा रहा है।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस परियोजना के लिए 2672. 80 लाख रुपये जारी किये गये हैं। जम्मू कश्मीर को 1142. 80 लाख रुपये , हिमाचल प्रदेश को 765 लाख रुपये और उत्तराखंड को 765 लाख रुपये आवंटित किये गये हैं। इसके तहत 900 मेरिनो भेड़ों का आयात किया जायेगा जिनमें से 420 भेड़ जम्मू कश्मीर को तथा हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड को 240 - 240 भेड़ दी जायेंगी। अगले तीन वर्षो के दौरान भेड़ से ऊन उत्पादन में पांच प्रतिशत की वृद्धि, अंगोरा खरगोश ऊन की उत्पादकता में वृद्धि के लिए खरगोश की आबादी में 15 प्रतिशत , ऊन उत्पादन में 20 प्रतिशत वृद्धि तथा पशमीना ऊन के उत्पादन में 10 प्रतिशत की वृद्धि का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
देश में वर्ष 2006 - 07 में ऊन का उत्पादन 4.51 करोड़ किलोग्राम था जो 2011 - 12 में मामूली रुप से घटकर 4.47 करोड़ किलोग्राम हो गया । वर्ष 2012-13 के आरंभ में ऊन का उत्पादन 4.61 करोड़ किलोग्राम था जो वर्ष 2014 -15 में बढकर 4.84 करोड़ किलोग्राम हो गया । वर्ष 2017-18 में इसका उत्पादन गिरकर 4.15 करोड़ किलोग्राम हो गया था। गांवों में भेड़ पालन के बढ़ावा देने के लिए भेड़ विकास योजना कार्यान्वित की जा रही है । कोई भी व्यक्ति इसके लिए बैंक से रिण ले सकता है जिस पर सामान्य वर्ग के लोगो को 25 प्रतिशत और अनुसूचित जाति एवं जनजाति को 33.33 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है ।