नई दिल्ली। विभिन्न दूरसंचार कंपनियों ने समायोजित सकल राजस्व (एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यू) अर्थात् एजीआर मामले में उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने शीर्ष अदालत में पुनरीक्षण याचिका दायर करके गत 24 अक्टूबर के आदेश पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है। याचिका में जुर्माना, ब्याज और जुर्माने पर लगाए ब्याज पर छूट का अनुरोध किया गया है। दूरसंचार कंपनियों ने लगाए गए जुर्माने की राशि को चुनौती दी है। याचिका में अदालत से एजीआर में गैर दूरसंचार आय को शामिल करने के फैसले पर भी फिर से विचार करने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दूरसंचार विभाग की अपील मंजूर कर ली थी। इस फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियों को बकाया रकम सरकार को चुकानी है। यह रकम करीब 92 हजार करोड़ रुपये है, जो दूरसंचार कंपनियां सरकार को चुकाएगी। गौरतलब है कि एजीआर के तहत क्या-क्या शामिल होगा, इसकी परिभाषा को लेकर टेलीकॉम कंपनी और सरकार के बीच विवाद चल रहा था।
टेलीकॉम कंपनियां सरकार के साथ लाइसेंस फीस और स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज शेयंिरग करती है। न्यायालय की परिभाषा के अनुसार, किराया, संपत्ति की बिक्री पर मुनाफा, ट्रेजरी इनकम, डिविडेंड सभी एजीआर में शामिल होगा। वहीं, डूबे हुए कर्ज, करंसी में फ्लकचुएशन, कैपिटल रिसिप्ट डिस्ट्रीब्यूशन मार्जन एजीआर में शामिल नहीं करने का आदेश दिया गया है।