मुंबई। आरबीआई की मोनेटरी कमेटी बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखा गया है। जबकि उम्मीद की जा रही थी कि इस बार भी ब्याज दरों को बढ़ाया जाएगा। लेकिन लोगों को राहत दी गई। लेकिन इस राहत के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से जवाब तलब कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि लंबी अवधि के होम लोन की फ्लोटिंग ब्याज दर ज्यादा क्यों है? जबकि पिछले एक साल में ब्याज दरों में कमी है। मनी लाइफ फाउंडेशन की याचिका में सुनवाई करते हुए आरबीआई से सवाल किया है।
क्या कहा कोर्ट ने
भले ही आरबीआई ने भले ही ब्याज दरों में बढ़ोतरी ना करते हुए लोगों को राहत की सांस दी हो, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई को झटका जरूर दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आरबीआई से होम लोन पर सवाल पर किया है कि आखिर लंबी अवधि के होम लोन की फ्लोटिंग ब्याज दर ज्यादा क्यों हैं? सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरबीआई याचिकाकर्ता को बताए कि दीर्घावधि के फ्लोटिंग लोन रेट कम करने के बारे में उसने क्या फैसला लिया है और वह इस योजना पर कैसे आगे बढ़ेगा?
इन्होंने डाली थी याचिका
यह याचिका मनी लाइफ फाउंडेशन द्वारा डाली गई थी। जिसमें उन्होंने पूछा था कि ब्याज दरों में कमी आने के बाद भी लंबे अवधि वाले होम लोन महंगे क्यों हैं? इसका लाभ आम जनता को क्यों नहीं दिया जा रहा है। वास्तव में लोगों को घर खरीदने के बाद अधिक ब्याज चुकाना पड़ रहा है। घर खरीदने के बाद ग्राहक 80 फीसदी रुपया बैंकों से फाइनेंस कराता है। लोक चुकाने की अवधि भी 15 से 25 साल या उससे अधिक होती है। जिसके तहत लोगों को ज्यादा ब्याज देना पड़ता है।
आरबीआई ने नहीं किया कोई बदलाव
वहीं दूसरी ओर भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट को 6.50 फीसदी ही रखा है। वहीं, रिवर्स रेपो रेट को भी 6.25 फीसदी पर ही रखा है। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के 6 सदस्यों में 5 ने ब्याज दर नहीं बढ़ाने के पक्ष में वोट किया था। रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा। वित्त वर्ष 2019-20 में वृद्धि 7.6 फीसदी पर पहुंच सकती है।