नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि गैस सब्सिडी के सीधे बैंक खातों में ट्रांसफर होने से सरकार को 12, 700 करोड़ रुपए की बचत हुई है। लेकिन इस दावे को हाल ही में इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट नामक एक संस्था ने दावे पर सवाल उठाए है। संस्थान का कहना है कि सब्सिडी सीधे खातों में जमा होने का सरकार का अनुमान सही नही है।
मीडिया खबरों के अनुसार इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनैबल डवलपमेंट के मुताबिक 2014-15 में इस स्कीम के लागू होने के बाद सरकार का 12,700 करोड़ रुपए बचत का दावा गलत है उसे इसके मुकाबले महज 143 करोड़ रुपए की बचत हुई है।
स्टडी के लेखक कीरन क्लार्क ने बताया कि हमारी स्टडी से यह पता चलता है कि पिछले साल सब्सिडी के नकद हस्तांतरण से होने वाली बचत का अनुमान को बढ़ा-चढ़ाकर कर बताया गया है। हालांकि सरकार की ओर से इस बचत के बारे में कोई आधिकारिक दस्तावेज जारी नहीं किया गया है।
एनडीए सरकार ने 2014 में 54 जिलों में यह योजना लागू की थी, लेकिन 2015 में यह योजना को देश के सभी जिलों में लागू की गई है। उन्होंने कहा है कि हम नही जानते कि इस साल कुल कितनी एलपीजी गैस का उपभोग होगा। लेकिन बचत उपभोग 24 % के आसपास रहेगा।