मुंबई। हिंदी सिनेमा की सुपरहिट फिल्म नमक हराम को आज सिनेमाघर में रिलीज हुआ 45 साल हो चुके हैं। 23 नवंबर साल 1973 को रिलीज हुई इस फिल्म में बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन और मेगास्टार राजेश खन्ना मुख्य भूमिका में थे। फिल्म नमक हराम से अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की कई यादें जुड़ी हुई हैं।
खबरों के अनुसार फिल्म नमक हराम दूसरी फिल्म थी जब अमिताभ और राजेश खन्ना की जोड़ी साथ नजर आई थी। यह इन दोनों की आखिरी फिल्म भी थी। इससे पहले यह दोनों फिल्म आनंद में नजर आए थे। बताया जाता है कि फिल्म नमक हराम के समय राजेश खन्ना बड़े परदे पर धीरे-धीरे अपना स्टारडम खो रहे थे। वहीं अमिताभ बच्चन परदे पर धीरे-धीरे चमकना शुरू हुए थे। नमक हराम से जुड़ा एक किस्सा यह भी है कि इस फिल्म में अमिताभ बच्चन को अंत में मरना होता है।
इस बात से राजेश खन्ना बिल्कुल बेखबर होते हैं, लेकिन उन्हें यह बात अच्छे से पता थी कि कोई कलाकार फिल्म के अंत में जब मरता है तो दर्शक का सबसे ज्यादा ध्यान उस पर ही जाता है। ऐसे में जैसे ही काका को नमक हराम के क्लाइमेक्स के बारे में पता चला तो उन्होंने अमिताभ बच्चन के इस सीन को बदलने के लिए फिल्म के निर्देशक पर दबाव बनाया। जिसे निर्देशक ने मान भी लिया।वहीं फिल्म में अपने बदलता रोल देखकर अमिताभ बच्चन राजेश खन्ना और नमक हराम के निर्देशक से खफा हो गए।
इसके बाद निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी ने अमिताभ की बात को रखते हुए फिल्म की कहानी में फिर से बदलाव किया गया। इसके बाद कहानी में मरने का रोल राजेश खन्ना के पास चला गया। फिल्म के बीच में राजेश खन्ना को मरना था और अमिताभ उनका बदला लेते। इसकी कहानी के साथ नमक हराम सिनेमाघरों में रिलीज हुई।
इसके बाद भी दर्शकों ने फिल्म में राजेश खन्ना से ज्यादा अमिताभ बच्चन के अभिनय को पसंद किया। कहा जाता है कि दर्शकों की प्रतिक्रिया को देखकर राजेश खन्ना ने अमिताभ के साथ कभी न फिल्म करने का फैसला किया। फिल्म नमक हराम का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था। इसमें आर डी बर्मन के संगीत को दर्शकों ने बहुत पसंद किया।