मुंबई। एक कार्यक्रम में सिनेमा में महिलाओं को लेकर जमकर बहस हुई। इस कार्यक्रम में मुल्क के निर्देशक अनुभव सिन्हा, ऋचा चड्ढा और वाणी कपूर ने तमाम मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी। इसी दौरान अनुभव सिन्हा ने कहा कि वो मदर इंडिया और डर्टी पिक्चर में कोई फर्क नहीं देखते।
एक सवाल पर अनुभव ने कहा, दोनों फिल्मों में मेरे ख्याल से कोई फर्क नहीं है। महिलाओं को प्रमुख भूमिका में लेकर फिल्म बनाया जाए? ये एक फेज है, हमें इसके आगे बढ़ाना होगा। जब तक हम महिला प्रधान फिल्म बनाएंगे तो एक तरह से हम पेट्रोनाइज कर रहे हैं महिलाओं को। जैसे ही हम ऐसा करते हैं हम उनसे बड़े हो जाते हैं और वो हमसे छोटी हो जाती हैं। जिस दिन ये ख्याल दिमाग में आना बंद हो जाएगा कि स्टेज पर कितने पुरुष और कितनी महिलाएं है उस दिन हम तरक्की करेंगे।
इससे पहले, क्या फिल्मों में महिलाओं की बल्ले बल्ले हो गई है? पर एक्ट्रेस रिचा चड्ढा ने कहा, हां, अभी हम यही बात कर रहे थे। पहले साल में तीन फिल्में आती थीं जिन्हें महिला केन्द्रित माना जाता था। अब ऐसी फिल्में ज्यादा आ रही हैं। अब लोगों को लग रहा है कि औरतें भी बॉक्स आॅफिस पर पैसा कमा कर दे सकती हैं। 2012 से ये देखने को मिल रहा है और ये ग्लोबल ट्रेंड है।
इसी सवाल को लेकर वाणी ने कहा, पिछले एक दशक में फिल्मों में महिलाओं के चरित्र में बदलाव हुआ है। पहले ऐसा नहीं था। आज हम माहवारी के विषय पर फिल्म बना रहे हैं। चाहे मुल्क ही हो अनुभव सिन्हा की जिसमें तापसी पन्नू का किरदार अहम है। ये बड़ा बदलाव है सिनेमा में। आज बिल्कुल उलट हुआ है। दर्शकों को भी इसका श्रेय जाता है। दर्शक आज इस तरह के कंटेंट देखना चाहते हैं। ये सबसे बड़ा परिवर्तन का दौर है।