19 Apr 2024, 22:23:28 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

नई दिल्ली।  'शहीद', 'न्यूटन', 'ट्रैप्ड', 'शैतान', 'काई पो छे!' और 'क्वीन' जैसी फिल्मों से पहचान बना चुके अभिनेता राजकुमार राव का कहना है कि हिंदी फिल्मोद्योग में वह अपरंपरागत हीरो होने का आनंद लेते हैं। राजकुमार ने कहा, परंपरागत काम करने में क्या मजा आता है? मैं किसी ऐसे व्यक्ति के रूप में जाना जाता हूं, जो अपरंपरागत है। मुझे अपरंपरागत होना पसंद है। मुझे ऐसी काम करना पसंद है, जो अलग हो। यही मुझे एक अभिनेता के रूप में बढ़ावा देता है।

हंसल मेहता, विक्रमादित्य मोटवानी और अमित वी. मासुरकर जैसे भारतीय सिनेमा के कुछ बेहतरीन फिल्म निर्माताओं के साथ काम करने के बाद, राजकुमार का कहना है कि वह दबाव में काम नहीं करते हैं। उन्होंने कहा, मैं दबाव नहीं लेता। मैं दबाव में काम ही नहीं कर सकता। मैं एक समय में एक फिल्म करता हूं और मैं उसी पल में जीने की कोशिश करता हूं। मैं भविष्यवादी व्यक्ति नहीं हूं, जो सोचता है कि पांच वर्ष बाद क्या होगा। और मैं अतीत में नहीं जीता। मैं अपनी सारी ऊर्जा वर्तमान में जो हो रहा होता है, उसी में लगाता हूं।

राजकुमार इन दिनों हॉरर कॉमेडी फिल्म 'स्त्री' की सफलता का आनंद ले रहे हैं। 'शहीद', 'ट्रैप्ड', 'सिटीलाइट्स' जैसी फिल्मों के बाद राजकुमार ने 'बरेली की बर्फी', 'बहन होगी तेरी' और 'स्त्री' जैसी हल्की-फुल्की फिल्मों में अभिनय किया। फिल्मों में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, इसके पीछे कोई कारण नहीं है।

बस मुझे 'बरेली की बर्फी' की पटकथा मिली और मुझे यह पसंद आई और मुझे लगा कि इसे करना चाहिए। लोगों ने इसे स्वीकार कर लिया। यह बहुत अच्छी थी.. प्रीतम विद्रोही की भूमिका के लिए जो मुझे प्रतिसाद मिला है, मैंने सोचा, 'क्यों नहीं? इस शैली को आजमाया जाए। 'स्त्री' की प्रतिक्रिया से अभिभूत राजकुमार के पास 'लव सोनिया', 'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा', 'मेड इन चाइना', 'मेंटल है क्या' और इमली' जैसी फिल्में भी हैं।

 
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