मुंबई। राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार हंसल मेहता फिल्में बनाने के खूबसूरत दौर से गुजर रहे हैं लेकिन उनका मानना है कि फिल्मों की मार्केटिंग और रिलीज करना बिल्कुल व्यर्थ और निराधार काम है। मेहता ने गुरुवार को ट्वीट किया, फिल्में बनती तो हैं। और आम तौर पर सह-निर्माण, दुख और सुख की खूबसूरत प्रक्रिया होती है। लेकिन फिल्म की मार्केटिंग और रिलीज बहुत ही निर्थक और बेकार काम बन गया है।
शाहिद, अलीगढ़ और सिमरन जैसी फिल्मों के निर्देशक मेहता ने कहा, पुराने तरीकों पर चलना बहुत खर्चीला है जिसमें थोड़ी सी रचनात्मकता और बेपरवाह कोशिश है। ओमार्टा के निर्देशक ने आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में बताया, मेरे पास मेरी अपनी आवाज है जो मेरी फिल्मों में दिखती है। मैं कोशिश करता हूं कि मैं जो कहानी बता रहा हूं उसमें मेरी आत्मा रहे।