नई दिल्ली। उनकी आवाज में भारतीयता की ऐसी खनक, जैसे दूर कहीं मंदिर में बजती घंटी, उनका अंदाज इतना अल्हड़, जैसे पहाड़ों से निकलती मदमस्त नदी, उनके सुर इतने खरे, जैसे आग में तपा सोना और उनकी तबीयत में ऐसी सादगी, जैसे कबीर का फक्कड़पन.. जी हां हम बात कर रहे हैं दुनियाभर में अपने सूफी संगीत की सादगी बिखेरने वाले पदमश्री संगीतकार एवं गायक कैलाश खेर की।
संगीत को अपना सब कुछ मानने वाले कैलाश का कहना है कि संगीत से उन्हें जो कुछ भी मिला है... वह उसे संगीत को वापस लौटाना चाहते हैँ और इसलिए उन्होंने दो नए बैंड लॉन्च करने का निर्णय लिया है! उनका कहना है कि पारम्परिक संगीत को ज़िंदा रखना उनका धर्म और कर्म है ! सात जुलाई 1973 को जन्मे कैलाश का कल 45वा जन्मदिन है!
इस मौके पर उन्होंने कहा, " मेरी हर साँस संगीत की सेवा के ही लिए समर्पित है।" उन्होंने कहा " हमारे देश मे संगीत केवल घरानों मे सिमट कर रह गया है। नई प्रतिभाओं के लिए कोई मंच नहीं है। सब अपने रिश्तेदारों को घराने के नाम पर आगे बड़ा रहे हैं। इसलिये मैं नई प्रतिभा को मौका देकर पारम्परिक संगीत के साथ-साथ अपनी संस्कृति को भी ज़िंदा रखना चाहता हूं ... जो नए दौर के संगीत के आने से कहीं खोता जा रहा है। "
कानों में मिसरी से घोलती आवाज़ के मालिक कैलाश खेर ने अपनी पूरी जिंदगी संगीत को अर्पित कर दी है। भविष्य की योजनाओं के बारे में उनका कहना है कि वह अंतिम सांस तक संगीत के लिए काम करना चाहते हैं! उन्होंने कहा " मेरी कोई चाहत नहीं है मैंने हमेशा बिना किसी उम्मीद के काम किया है... जब आप किसी एक मुकाम पर पहुंच जाते हैं तो लोग आपकी ओर उम्मीद से देखने लगते हैं और उन उम्मीदों पर खरा उतरना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है।"
अपने 13 साल के संगीत के करियर में करीब 25 भाषाओं मैं 1100 से अधिक गीत गा चुके कैलाश का कहना है की वह हर साल अपना जन्मदिन नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका देकर मनाना चाहते हैं । उनका मानना है कि जिस संगीत ने उन्हें शोहरत और मकबूलियत की बुलंदियों तक पहुंचाया है, उसे ज़िंदा रखना उनकी जिम्मेदारी है।
कैलाश कल मुंबई के बांद्रा स्थित सेंट एंड्रयूज मैं "नई उड़ान" कार्यक्रम का आयोजन करने जा रहे है और इस मौके पर वह दो नए बैंड 'एआर डिवाइन' और 'स्पर्श' लॉन्च करेंगे। कैलाश ने खुद इन दोनों संगीत बैंड का चयन किया है। उन्होंने कहा " 'नई उड़ान' का लक्ष्य युवा, प्रतिभाशाली संगीतकारों को एक खुला आसमान देना है जहाँ वह अपनी प्रतिभा को उड़ान दे सकें !
हम इन्हें सिर्फ लॉन्च नहीं कर रहे बल्कि आगे भी लगातार प्रोत्साहित करते रहेंगे ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग लोग इनकी प्रतिभा से वाकिफ हो सकें और इन्हें संगीत की दुनिया में इनकी वाजिब जगह मिल सके।" नए संगीतकारों को पारम्परिक संगीत को ज़िंदा रखने की सलाह देते हुए कैलाश कहते हैं, "आने वाली पीढ़ी अगर अपनी विरासत को अच्छे से जान ले तो उन्हें उनकी जड़ों से कोई अलग नहीं कर सकता.. और ऐसा करके ही हम अपने पारम्परिक संगीत को ज़िंदा रख पाएंगे! "