मंबई। बॉलीवुड में संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकांत प्यारेलाल का 54 साल का कामयाबी भरा सफर रहा है। 1964 में शुरू हुआ उनका यह सफर आगे चलकर संगीत में बड़ा नाम बन गया जो श्रोताओं पर जादू चलाता रहा। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के इस उल्लेखनीय सफर से दर्शकों को रूबरू कराने के लिए जावेद अख्तर जैसी शख्सियत से बेहतर भला और कौन हो सकता है! इस वीकेंड जी क्लासिक ‘वो जमाना करे दीवाना’ में जावेद अख्तर लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के बॉलीवुड में उतार-चढ़ाव से भरे सफर को पेश करने जा रहे हैं।
लक्ष्मीकांत और प्यारेलाल का बहुत कम उम्र में ही म्यूजिक से लगाव हो गया था। दोनों की मुलाकात मुंबई में रंजीत स्टूडियो में क्रिकेट मैच के दौरान हुई थी। इसके बाद उनकी मुलाकातों का सिलसिला चलता रहा और फिर एक ऐतिहासिक जोड़ी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का जन्म हुआ। इस जोड़ी ने दर्शकों को संगीत के एक अनूठे एहसास से रूबरू कराया। जहां लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने 635 फिल्मों के लिए 3,810 गाने तैयार किए वहीं इस जोड़ी की पहली फिल्म थी ‘पारसमणि’।
इस फिल्म के सभी गाने बेहद लोकप्रिय हुए थे, खास तौर से ‘हंसता हुआ नूरानी चेहरा’। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक जबरदस्त हिट गाने तैयार किए जो हमें ‘दोस्ती’,‘मिलन’, ‘ड्रीम गर्ल’ ,‘सौदागर’, ‘मिस्टर इंडिया’ और अन्य फिल्मों में सुनने को मिले। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल अपने मेंटर लता मंगेशकर और मोहम्मद रफी के सदा एहसानमंद रहे जिन्होंने उनका साथ दिया और इंडस्ट्री में उस समय चल रही फीस से आधी कीमत पर उनके साथ काम किया। जावेद अख्तर बताते हैं, फिल्म बॉबी के लिए जब दिग्गज निर्देशक राज कपूर ने उनकी धुन सुनी तो वह सम्मान में उनके आगे झुक गए।