29 Mar 2024, 05:24:09 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

मुंबई। मशहूर शायर और गीतकार शकील बदांयूनी का अपनी जिंदगी के प्रति नजरिया उनकी रचित इन पंक्तियों मे समाया हुआ है।'मैं शकील दिल का हूं तर्जुमा कि मोहब्बतों का हूं राजदान मुझे फख्र है मेरी शायरी मेरी जिंदगी से जुदा नहीं।

उत्तर प्रदेश के बदांयू कस्बे में 03 अगस्त 1916 को जन्में शकील अहमद उर्फ शकील बदांयूनी स्रातक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 1942 में दिल्ली पहुंचे जहां उन्होनें आपूर्ति  विभाग मे आपूर्ति अधिकारी के रूप मे अपनी पहली नौकरी की। इस बीच वह मुशायरों मे भी हिस्सा लेते रहे जिससे उन्हें पूरे देश भर मे शोहरत हासिल हुई।
 
अपनी शायरी की बेपनाह कामयाबी से उत्साहित शकील बदांयूनी ने नौकरी छोड़ दी और वर्ष 1946 में दिल्ली से मुंबई आ गये। मुंबई मे उनकी मुलाकात उस समय के मशहूर निर्माता ए.आर. कारदार उर्फ कारदार साहब और महान संगीतकार नौशाद से हुई।
 
नौशाद के कहने पर शकील ने 'हम दिल का अफसाना दुनिया को सुना देंगे, हर दिल मे मोहब्बत की आग लगा देंगे' गीत लिखा। यह गीत नौशाद साहब को काफी पसंद आया जिसके बाद उन्हें  तुंरत ही कारदार साहब की 'दर्द' के लिए साईन कर लिया गया। वर्ष 1947 में अपनी पहली ही फिल्म 'दर्द' के गीत 'अफसाना लिख रही हूं' की अपार सफलता से शकील बदांयूनी कामयाबी के शिखर पर जा बैठे। 

 

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