20 Apr 2024, 16:57:31 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

इंदौर। टीवी सीरिसल ‘पवित्र रिश्ता’ से अपने करियर की शुरुआत करने वाले सुशांत सिंह राजपूत ने फिल्म ‘काय पो छे’ से बॉलीवुड में एंट्री की थी। ‘पीके’, ‘ब्योमकेश बख्शी’ और ‘एमएस धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी’ में अपने अभिनय से सुशांत ने दर्शकों के दिल में अलग ही पहचान बना ली है। उनकी आगामी फिल्म ‘राब्ता’ है जिसमें वे कृती सेनन के साथ नजर आएंगे। फिल्म पुर्नजन्म पर आधारित है और दो एरा की कहानी दर्शाती है जिसमें सुशांत दो अलग-अलग किरदारों में नजर आएंगे। सुशांत सिंह राजपूत ने दबंग दुनिया से की खास बातचीत, पेश है इसके कुछ प्रमुख अंश.....

दोनो किरदार मजेदार
जब सुशांत से पूछा गया कि फिल्म में दोनो किरदारों में से सबसे ज्यादा मजेदार किरदार कौन सा था? इस पर उन्होंने कहा कि दानों ही किरदार निभागा अलग तरीके के मजे थे तो मैं तुलना नहीं कर सकता। कंटेपररी टाइम में मैं जो किरदार प्ले कर रहा हूं वह वैसे तो अपनी नजर में बहुत बोरिंग है, लेकिन कभी-कभी अचानक से बहुत इंट्रेस्टिंग हो जाता है। तो मेरा पहला किरदार बेहद ही फनी है और चार्मिंग है और चार पांच महिने तक मैंने इस किरदार को जिया, लेकिन मेरा जो दूसरा किरदार है वह बतौर एक्टर बहुत चुनौतीपूर्ण है, और मैं सोच रहा था कि यह मैं कैसे कर सकता हूं और इसिलिए मैंने यह फिल्म चुनी ताकि मैं कुछ अलग कर सकूं।

आज तक 54 किरदार निभाए हैं
‘राब्ता’ में अपने किरदार के बारे में सुशांत ने बताया कि, मैंने थिएटर, फिल्म और टीवी तीनों जगह काम किया है और इन तीनों जगहों पर मैंने आज तक 54 किरदार निभाए हैं। किसी भी एक स्टोरी में मैंने दो किरदार नहीं निभाए हैं तो यह भी मेरे लिए एक चैलेंज था कि क्या मैं 2 घंटे 15 मिनट में ऑडियंस को यह यकिन दिला सकता हूं कि मैं दो अलग इंसान हू। और दूसरा कि मैंने अब तक जितने भी किरदार निभाए हैं उन्हें या तो मैंने देखा था, सुना था या उनके बारे में पढ़ा था, लेकिन इस फिल्म में मेरा जो वॉरियर का किरदार था उसका कोई रिफरेंस नहीं था। यह किरदार जंगलों में रहता है, फाइटर है। सरवाइवल के लिए हमारी जो सबसे मौलिक प्रवृत्ति होती है- ‘मारो या मरो’ की तो यह किरदार बिल्कुल वैसा ही है। इसके पास और कोई भाव ही नहीं है। इस किरदार में कॉम्पीटिशन, जलन, प्यार, नफरस जैसे भाव ही नहीं हैं, यह या तो मारेगा या मरेगा। यह बहुत ही उग्र वॉरियर तो मुझे खुद में ऐसा कौशल पैदा करना था कि दो मिनट के इंट्रोडक्शन में सबको यकिन दिला दूं कि यह वही किरदार है जैसा कहानी में सुना था। इसलिए मैंने वैपन ट्रेनिंग ली, मार्शल आर्ट सीखा।

जैगुआर से प्रेरित 
सुशांत ने कहा कि मैंने इस किरदार के बॉडी लैंग्वेज के लिए जैगुआर के मैनरिज्म को ध्यान में रखा और उसी से प्रेरित होकर किरदार को गढ़ा। 
 
जो किरदार आसानी से समझ में आ जाते हैं, उन्हें कभी नहीं निभाता
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे दोबारा टीवी पर ‘पवित्र रिश्ता’ के मानव के किरदार में नजर आएंगे तो इस पर उन्होंन कहा कि नहीं मैं दोबारा मानव का किरदार नहीं निभाऊंगा। दरअसल, जो किरदार मुझे आसानी से समझ में आ जाते हैं मैं उन्हें कभी नहीं निभाता फिर चाहे उसके लिए मुझे कितने भी पैसे मिले या कोई भी डायरेक्टर हो। मैंने अपनी जिंदगी में यह अनुभव किया है कि मैं वही करता हूं जिसे करने में मुझे मजा आता है। 

पुर्नजन्म में विश्वास नहीं
जब उनसे पूछा गया कि क्या वे पुर्नजन्म में विश्वास रखते हैं, इस पर उन्होंने कहा कि नहीं मैं पुर्नजन्म में विश्वास नहीं रखता हूं,  सच कहूं तो जिस धारणा पर आप विश्वास नहीं करते हो और वही स्क्रिप्ट की सेंट्रल प्लॉट हो तो उस पर काम करना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन की कहानी इतनी अच्छी है कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप पुर्नजन्म में विश्वास करते हो या नहीं और यही वजह थी कि मैंने इसे करने का निर्णय लिया।

‘मगाधिरा’ से प्रेरित नहीं है ‘राब्ता’
जब सुशांत से पूछा गया कि क्या उनकी फिल्म ‘राब्ता’, दक्षिण भारतीय सिनेमा ‘मागाधिरा’ से प्रेरित है, इस पर उन्होंने कहा कि, स्क्रिनप्ले की जो किताब होती है उसके पहले अध्याय में यह बताया गया है कि केवल 8 अलग-अलग स्टोरिज ही होती हैं जिसे दर्शाया जा सकता है और इन्हीं 8 स्टोरिज को क्रमचय संयोजन के द्वारा अलग-अलग कहानी के रूप में दर्शाया जाता है बस स्क्रीलप्ले और स्टोरी टेलिंग अलग होता है। इसी तरह अगर मैं एक स्टोरी और किरदार किसी दो डायरेक्टर को दूं तो दोनों का आउटकम अलग होगा। तो ‘राब्ता’ ‘मगाधिरा’ से प्रेरित नहीं है।

भाई-भतीजावाद है
मुझ से हमेशा पूछा जाता है कि मैं टीवी से यहां कैसे आ गया, लेकिन सच कहूं तो मुझे फर्क ही नहीं पड़ता। हां मैं आउटसाइडर हूं, औरइंडस्ट्री में हैं भाई-भतीजावाद, लेकिन इसमें कुछ गलत नहीं है। अगर आप आईआईटी और एम्स की बात करते हैं तो वहां भी सीट्स पहले से ही तय होती हैं। 10 में से 8 रिजर्व होती हैं और अगर आप में इतना टैलेट है कि आप घुस सकते हो तो घुस जाओ, कोई रोक थोड़ी रहा है।  
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