20 Apr 2024, 11:15:46 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

मुंबई। भारतीय सिनेमा जगत के पहले ‘‘महानायक’’ का दर्जा प्राप्त करने वाले  के. एल. सहगल ने अपने दो दशक के लंबे सिने करियर में महज 185 गीत ही गाये इनमें 142 फिल्मी और 43 गैर फिल्मी गीत शामिल है। लेकिन उन्हें जितनी ख्याति प्राप्त हुयी उतनी हजारो की संख्या में गीत गाने वाले गायकों को नसीब नहीं हुयी। वर्ष 1904 को जम्मू के नवाशहर में रियासत के तहसीलदार अमर चंद सहगल के घर जब कुंदन का जन्म हुआ तो पिता ने यह कभी नही सोचा होगा कि उनका पुत्र अपने नाम को सार्थक करते हुए वाकई एक दिन ‘कुंदन’ की तरह ही चमकेगा। कुंदन दरअसल स्वर्ण का शुद्धतम रूप होता है।
 
सामान्य तौर पर स्वर्ण को कई बार गलाने-तपाने पर जो धातु बनता है उसे ‘‘कुंदन’’ कहा जाता है जिसकी आभा कभी कम नही होती। यही बात कुंदन लाल सहगल पर चरितार्थ होती है। बचपन से ही सहगल का रूझान गीत-संगीत की ओर था।  उनकी मां केसरीबाई कौर धार्मिक कार्यकलापों के साथ साथ संगीत मे भी काफी रूचि रखती थी। सहगल अक्सर मां के साथ भजन.कीर्तन जैसे धार्मिक कार्यक्रमों में जाया करते थे और अपने शहर मे हो रही रामलीला के कार्यक्रमों मे भी हिस्सा लिया करते थे।
 
सहगल ने किसी उस्ताद से संगीत की शिक्षा नहीं ली थी लेकिन सबसे पहले उन्होंने संगीत के गुर एक सूफी संत सलमान यूसुफ से सीखे थे। बचपन से ही सहगल में उन्हे गहरी समझ थी और एक बार सुने हुये गानों के लय को वह बारीकी से पकड़ लेते थे। सहगल की प्रारंभिक शिक्षा बहुत ही साधारण तरीके से हुयी थी। उन्हें अपनी पढाÞई बीच मे ही छोड़ देनी पड़ी और जीवन यापन के लिये उन्होंने रेलवे मे टाईमकीपर की मामूली नौकरी भी की थी ।बाद मे उन्होंने रेमिंगट  नामक टाइपराइंटिग मशीन की कंपनी में सेल्समैन की नौकरी भी की।
 
 
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