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महिला सुरक्षा, लैंगिक समानता मानवता का मुद्दा : विभा बख्शी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jan 27 2019 10:48AM | Updated Date: Jan 27 2019 10:48AM
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नई दिल्ली। अपनी पहली फिल्म 'डॉटर ऑफ मदर इंडिया' की सफलता के बाद राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्देशक व निर्माता विभा बख्शी अपनी नई डॉक्यूमेंट्री 'सन राइज' को लेकर सुर्खियों में हैं। विभा महिलाओं और सामाजिक मुद्दों से जुड़ी फिल्में बनाती हैं। उनका कहना है कि महिला सुरक्षा और लैंगिक समानता महिलाओं का मुद्दा नहीं, बल्कि मानवता का मुद्दा है। हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी में उन्होंने 'सन राइज' रिलीज की। फिल्म महिलाओं के लिए लड़ने वाले पुरुषों को नायक के रूप में चित्रित करती है। 
 
विभा बतौर बिजनेस रिपोर्टर काम कर चुकी हैं, उनसे जब पूछा गया कि फिल्म निर्माण में उनका कैसे आना हुआ तो बोस्टन यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा ने कहा, मैं लंबे अरसे से बिजनेस रिपोर्टिग कर रही थी और फिर न्यूयॉर्क चली गई। वहां मैं अपनी पार्टनर मैरियान डिलियो से मिली, जो कि ऑस्कर अवार्ड विजेता हैं और फिर हमने फिल्में बनानी शुरू कर दी और इस तरह मेरा सफर शुरू हुआ। 
 
यह पूछे जाने पर कि किस चीज ने उन्हें महिलाओं, लड़कियों के अधिकार और सामाजिक मुद्दों पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया तो उन्होंने कहा, "जब मैं रिपोर्टर थी तो उस समय भी मेरा झुकाव सामाजिक मुद्दों की ओर ज्यादा था और फिर मैंने महसूस किया कि फिल्में बदलाव लाने का प्रभावशाली जरिया हैं और एसी फिल्में बनाना चाहती थी जो बदलाव का वाहक बने। हम पिछली फिल्म (डॉटर्स ऑफ मदर इंडिया) के लिए भी बहुत आभारी है, जिसे न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में सराहा गया और इस बात ने हमें सामाजिक मुद्दों पर और ज्यादा फिल्में बनाने के लिए प्रेरित किया।"
 
विभा महिलाओं से जुड़े मुद्दे पर फिल्में बनाना पसंद करती है और महिला सुरक्षा, लैंगिक समानता को वह मानवता के मुद्दे से जोड़ती हैं। 
 
मीडिया एडवोकेसी के लिए 'कान्स ग्लास लॉयन अवार्ड' के लिए नामांकित हो चुकीं विभा ने कहा, "जब हम महिलाओं की सुरक्षा और लैंगिक समानता की बात करते हैं तो मेरी नजर में यह महिलाओं का मुद्दा नहीं बल्कि मानवता का मुद्दा है। यह संवेदनशील मुद्दा है। यह बेहद जरूरी है कि पुरुष और महिला कंधे से कंधा मलाकर एक दूसरे का साथ दे, मेरी फिल्म 'सन राइज' इसी के बारे में है जहां पुरुष महिलाओं के अधिकार के लिए लड़ रहे हैं।"
 
विभा ने 'सन राइज' का निर्माण 'यूएन वीमेन' के 'हैशटैगहीफॉरशी' अभियान के तहत किया है। इसकी शूटिंग के दौरान उन्हें कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा, इस बारे में उन्होंने कहा, "एक महिला के रूप में फिल्म बनाने के लिहाज से यह जगह समस्याओं और चुनौतियों से भरा हुआ है। एक साल हमें उनका भरोसा जीतने में लग गया। मैं मुख्य रूप से पुरुषों से बात करने और उनका इंटरव्यू करने पर फोकस कर रही थी। मेरी फिल्म पूरी तरह से पुरुषों पर थी तो यह सबसे मुश्किल था कि लोग बात करने को तैयार नहीं थे और उनका भरोसा जीतना बेहद मुश्किल था और मेरे लिए फिल्म के नायकों को ढूंढ़ना भी मुश्किल था।" 
 
फिल्मकार ने आगे कहा, मैं ऐसे पति (जितेंद्र छतर) के बारे में कहानी बना रही थी, जिसने दुष्कर्म की शिकार महिला से शादी रचाई और उसे न्याय दिलाने की लड़ाई लड़ रहा है और हम जानते थे कि वे काफी डर व दबाव से गुजर रहे हैं और हमें भी यह डर था कि वे (अपराध को अंजाम देने वाले) आ सकते हैं और हमें भी नुकसान पहुंचा सकते हैं और जब हम राज्य में काफी अंदर के इलाकों में चले गए तो हम अपनी सुरक्षा को लेकर काफी डरे हुए थे। मैं इस बात को लेकर भी डरी हुई थी कि मैं सबसे बड़े खाप नेता से मिलने जा रही हूं। 
 
उन्होंने कहा, उनके बारे में मेरी कुछ अपनी राय थी और मेरे बारे में उनकी कुछ राय थी। लेकिन, जब मैं उनसे मिली और बात की फिर उसके बाद कोई दिक्कत ही नहीं हुई। इस फिल्म के बेहतर बनने के पीछे हरियाणा के लोगों की हिम्मत है। जिन्होंने कई संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी तोड़ते हुए बात की। 
 
यह पूछे जाने पर कि राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने के बाद वह क्या किसी तरह का दबाव महसूस करती हैं तो उन्होंने कहा, "हां, बिल्कुल मैं दबाव महसूस करती हूं लेकिन पुरस्कार मिलने की वजह से नहीं बल्कि फिल्मकार के रूप में अपनी जिम्मेदारी को लेकर, क्योंकि मेरे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार वह होगा, जब समाज में वास्तव में बदलाव महसूस करूंगी। मैं पुरस्कार के बारे में नहीं सोचती बल्कि बदलाव लाने की जिम्मेदारी के बारे में सोचती हूं।" 
 
हैशटैग मीटू मूवमेंट पर फिल्मकार का कहना है कि इस मूवमेंट ने लड़कियों, महिलाओं को बोलने के लिए प्रेरित किया है और इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा जिम्मेदाराना तरीके से किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, उतने सालों से ये सब चल रहा था, लेकिन कोई नहीं बोल रहा था, लेकिन अब ये चुप्पी टूट गई है। बदलाव रातोंरात नहीं होगा, वक्त लगेगा लेकिन उम्मीद करती हूं कि ऐसे और मूवमेंट आएंगे। 
 
हैशटैगहीफॉरशी पर उन्होंने कहा, मैं बहुत आभारी हूं कि संयुक्त राष्ट्र के इस कार्यक्रम के तहत पुरुष और महिला एक साथ आ रहे हैंऔर पुरुष महिलाओं को समर्थन दे रहे हैं। मेरी फिल्म इसी के बारे में है जहां पुरुष महिलाओं के हक के लिए आवाज उठा रहे हैं। मैं आभारी हूं कि 'यूएनवीमेन' ने 'सनराइज' को पूरा समर्थन दिया है। 
 
परिवार के योगदान के बारे में पूछे जाने पर विभा ने कहा, मुझे अपने पति का भरपूर सहयोग मिला है। फिल्म के निर्माण के सिलसिले में मैं काफी समय तक हरियाणा में रही और पति विशाल बख्शी ने हमेशा साथ दिया वह बेहद सफल व्यवसायी हैं। मेरे लिए हीफॉरशी के लिए मेरे रोल मॉडल तो मेरे पति हैं। कॉमर्शियल फिल्म में आने के सवाल पर उन्होंने कहा, "जब सही समय आएगा तब जरूर करूंगी, लेकिन वहीं कॉमर्शियल फिल्म करूंगी जो सामाजिक मुद्दों पर आधारित होगा।  
 
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