20 Apr 2024, 02:47:44 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android

बिलासपुर। सालों से जिला बनाने की लड़ाई लड़ रहे मुंगेलीवासी आखिरकार मुंगेली को जिला बनाने में सफल तो हो गये लेकिन अब उन्हें प्रशासनिक आतंकवाद का कहर झेलना पड़ रहा है। इन दिनों जिले की एसपी नीतू कमल शर्मा हैं। 

उनके द्वारा आये दिन नए-नए कारनामे किए जा रहे हैं। एक ओर जहां ग्रामीणों को धोखेबाजों से बचने के लिये तरह तरह उपाये बताये जा रहे हैं तो दूसरी ओर पुलिस महकमा में पदस्थ छोटे कर्मचारी आत्महत्या करने को मजबूर हैं। यहां पदस्थ पुलिस कर्मी विभागीय अनदेखी के कारण अपनी समस्याओं को लेकर चक्कर पर चक्कर काट रहे हैं। हद तो तब हो गई जब एक आरक्षक अपने तबादले के विरोध में आत्महत्या की चेतावनी देते हुए पुलिस के आला अधिकारियों को ई-मेल भेज दिया। इसके बाद सकते में आये विभाग के आला अधिकारियों ने उसके तबादले पर रोक लगा दी। 

तब जाकर आरक्षक ने कुदकुशी का फैसला टाल दिया।
पीएचक्यू नहीं भेजी राठिया की फाइल 
इसी तरह 30 जून 2016 को तत्कालीन एसपी बिलासपुर  पवन देव ने लोरमी थाना अंतर्गत कारिडोंगरी बैरियर में वन विभाग के चौकीदार से मारपीट के प्रकरण में जरहा गांव थाने में तैनात हवलदार पुनीत राम राठिया सहित दो अन्य पुलिस वालों पर विभागीय दंड की कार्रवाई की थी । उसमें श्री राठिया को 2 वर्षों के लिये हवलदार से सिपाही बना दिया गया था। इस कार्रवाई से असंतुष्ट होकर राठिया ने आत्महत्या का प्रयासकिया था। अपोलो हास्पिटल बिलासपुर में इलाज होकर स्वस्थ हुआ था। अपने उपर की गई दंड की कार्रवाई गलत होने की अपील राठिया ने विभागीय नियमानुसार पुलिस महानिदेशक को जुलाई में किया था। इस पर पुलिस मुख्यालय ने राठिया के प्रकरण की फाइल भेजने एसपी मुंगेली को माह जुलाई से अब तक 3 पत्र भेज चुका है तथा राठिया तीन बार अपनी फाइल भेजने स्वयं एसपी के पास उपस्थित होकर गुहार लगा चुका है किंतु आज दिनांक तक एसपी मुंगेली ने फाइल पुलिस मुख्यालय नही भेजी है। 
 
इसके कारण राठिया का पूरा परिवार विभाग की इस लेटलतीफी से खासा दु:खी है। शायद मुंगेली एसपी किसी दबाव या इस आदिवासी हवलदार या इसके परिवार के साथ किसी अनहोनी होने का इंतजार कर रहीं हैं।
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