बस्तर। धरती का स्वर्ग कहलानें वाला बस्तर,जिसका इतिहास दंडकारण्य के रूप में पौराणिक गाथाओं में भी मिलता हैं। इस स्वर्ग को कुछ समय पहले ऐसी नजर लगी कि धरती का ये स्वर्ग धमाकों और गोलियों की आवाजों से गुंजने लगा.लेकिन अब समय ने ऐसी करवट ली हैं कि बस्तर अब वह बस्तर नहीं रहा है।
जिसे देश दुनियां में पिछडा इलाका कहा जाता था। अब बस्तर करवट ले रहा है.अब बस्तर बदल रहा है..प्रदेश का पहला ऐसा गांव जो डिजिटल इंडिया को साकार करता दिखाई दे रहा है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश का पहला डिजीटल गांव बनने वाला जगदलपुर जिले के बस्तर ब्लाक का बालेंगा गांव,जो जिला मुख्यालय से करीब 24 किलोमीटर दूर बसा ये गांव जहां लोग डिजीटल के मायने नही जानते थे। देश दुनिया से पूरी तरह से अलग रहा बस्तर कभी तरक्की की परिभाषा को भी ठीक ढंग से नहीं जानता था। लेकिन इस गांव में हुए कुछ प्रयास ने सब कुछ बदल दिया है।
बस्तर ब्लाक में पंचायत भवन से लेकर स्कूल तक डिजीटल हो चुके हैं। प्रदेश का बालेगा गांव को डिजीटल बनाने की पहल जिला प्रशासन और बस्तर जनपद ने की। इस पहल का परिणाम था कि बालेंगा में मिडिल और हाईस्कूल को वाईफाई की सुविधा से लैस कर दिया गया।
हाल ही में जिला कलेक्टर अमित कटारिया ने बालेंगा गांव के साथ ही चालीस किलोमीटर दूर बसे सुधापाल गांव को भी वाईफाई और इंटरनेट जैसी सुविधाओं से जोड़ दिया है। कुछ सालों में हुए इन प्रयासों का परिणाम हैं कि बस्तर जिला प्रदेश के 27 जिलों में शिक्षा के क्षेत्र में नए कीर्तिमान को गढ़ रहा है।