बस्तर। लोकतंत्र की बहाली की मांग को लेकर गैर-भाजपा राजनैतिक दल और वामपंथी पार्टियों की पहल पर सोमवार को बूढ़ापारा में आयोजित धरने में आप और जद(यू) तो भाग लेगी ही, कांग्रेस के भी भाग लेने की संभावना है। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन और बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति से जुड़े विभिन्न जनसंगठनों सहित नदी घाटी मोर्चा और संस्कृतिकर्मियों के संगठन भी इस धरना में शामिल होंगे। भाकपा नेता मनीष कुंजाम और आप नेता सोनी सोरी के भी इस धरना में शामिल होने की संभावना है। इन पार्टियों और संगठनों के प्रतिनिधि बस्तर में माओवाद से निपटने के नाम पर राज्य-प्रायोजित हिंसा के खिलाफ आईजी एसआरपी कल्लूरी की बर्खास्तगी और रमन सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। अरविंद नेताम और आदिवासी संगठनों के नेतृत्व में कल ही बस्तर में आर्थिक नाकेबंदी का आह्वान भी किया गया है।
ऐसी बनी आंदोलन की रूपरेखा
पिछले ही दिनों माकपा कार्यालय में नेताम की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई थी। बैठक में राज्य सरकार द्वारा कल्लूरी को संरक्षण दिए जाने की तीखी निंदा की गई थी। यह संरक्षण तब भी दिया जा रहा है, जबकि ताड़मेटला कांड में सीबीआई ने कल्लूरी के खिलाफ चार्जशीट पेश कर दी है और मानवाधिकार आयोग ने भी उसे पेश होने की नोटिस जारी कर दी है।
फर्जी मुठभेड़ों की कई कहानियां पुख्ता सबूतों के साथ सामने आ रही है, जिसका अदालत में जवाब देना सरकार के लिए भी संभव नहीं हो पा रहा है। राजनैतिक-सामाजिक कार्यकतार्ओं सहित वकीलों, पत्रकारों और आम आदिवासियों के अधिकारों पर दमन के किस्सों में एक नया मामला तब और जुड़ गया, जब जेएनयू-डीयू के प्रोफेसरों और माकपा-भाकपा के नेताओं पर एक आदिवासी की हत्या का मामला दर्ज कर उन पर जन सुरक्षा कानून थोपने की धमकी कल्लूरी द्वारा दी गई। इस मामले की व्यापक प्रतिक्रिया हुई और सरकार को सुप्रीम कोर्ट में आश्वासन देना पड़ा है कि इन सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा।