नई दिल्ली। कैबों के बढ़ते इस्तेमाल के कारण वर्ष 2030 तक देश में यात्री कारों की बिक्री में डेढ़ फीसदी सालाना की चक्रवृद्धि गिरावट दर्ज की जाएगी। साख निर्धारक एवं बाजार अध्ययन कंपनी क्रिसिल ने बुधवार को जारी एक अध्ययन रिपोर्ट में बताया कि निजी कारों की तुलना में कैब औसतन ज्यादा दूरी तय करते हैं। देश में लोग तकरीबन 10 साल में कारों को पुरानी मान लेते हैं जो महज एक लाख से एक लाख 20 हजार किलोमीटर तक चली होती है। आम तौर पर एक कार की लाइफ एक लाख 80 हजार से दो लाख किलोमीटर मानी जाती है। कैबों के बढ़ते चलन से देश में भी कारों द्वारा तय की गई औसत दूरी बढ़कर इतनी हो जाएगी।
यदि यह मान लिया जाए कि यात्रियों द्वारा तय की जाने वाली औसत दूरी मौजूदा स्तर पर ही रहेगी, वर्तमान कारों को ज्यादा चलाने से कम कारों की जरूरत होगी। इससे नए कारों की मांग कम होगी तथा उनकी रिप्लेसमेंट का समय बढ़ेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि कैबों के ज्यादा इस्तेमाल से पार्किंग की समस्या भी कम होगी, विशेषकर एग्रीगेटर कैबों के इस्तेमाल से। प्रति किलोमीटर लागत घटने से लोग कैबों में यात्रा करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। शेयर वाले एग्रीगेटर कैब 11 रुपए प्रति किलोमीटर तक पर उपलब्ध हैं।