गुरुवार को शीतलाष्टमी है। इस दिन मां शीतला की पूजा की जाती है। होली के बाद आने वाले सोमवार या गुरुवार को जिस दिन कृष्ण पक्ष का आठवां दिन हो, मां शीतला की पूजा की जाती है। शीतला मां को साफ-सफाई बेहद पसंद है, इसलिए इनकी पूजा से पहले घर की अच्छी तरह साफ सफाई की जाती है।
मां शीतला को धैर्यवान लोग पसंद हैं। इसलिए दुनिया का सबसे धैर्यवान पशु गधा इनका वाहन है। इनके हाथों में झाड़ू और मटका है। झाड़ू सफाई का प्रतीक है और मां के दूसरे हाथ में रखे मटके में हजारों देवी-देवता वास करते हैं। इसलिए ऐसी मान्यता है कि जो भक्त मां शीतला को प्रसन्न कर देता है, उसे सभी देवी-देवताओं का आर्शीवाद मिल जाता है।
1. शीतालाष्टमी के दिन घर का चूल्हा नहीं जलता, इसलिए घर के लोगों और मां को चढ़ाने वाले प्रसाद रूपी चावल को आज ही बना लें। मां शीतला को बासी प्रसाद ही चढ़ता है।
2. साफ घी का इंतजाम आज ही कर लें। क्योंकि मां शीतला को बासी चावल और घी का प्रसाद चढ़ाते हैं।
3. अगर आप मां की पूजा में कलश रखना चाहते हैं तो आज ही कलश, आम की पलो रख लें।
4. मां को सूखे मेवे और लॉन्ग भी चढ़ाया जाता है। इसलिए घर में इसे लाकर भी रख लें।
5. एक दिन पहले ही घर की साफ-सफाई कर लें। इसके अलावा मां शीतला की मूर्ति को चंदन, हल्दी, सिंदूर लगाया जाता है और फल-फूल चढ़ाया जाता है. इन सब का इंतजाम भी आज ही कर लें।
शीतलाष्टमी से पहले ही इन चीजों की तैयारी इसलिए जरूरी है क्योंकि मां शीतला की पूजा सूर्य उगने से पहले ही की जाती है। ऐसे में सुबह पूजा की तैयारी करना संभव नहीं है।