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Astrology

जानें कौन सा रत्न है श्रेष्ठ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 14 2018 1:31PM | Updated Date: Feb 14 2018 1:33PM
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रत्नों की श्रेष्ठता प्रमाणित करने में उसके मुख्यतया तीन गुण देखे जाते हैं। रत्नों की अद्भुत सौंदर्यता, रत्नों की दुर्लभता और रत्नों का स्थायित्व। मनुष्य विकसित होने के साथ-साथ रत्नों की तरफ भी अधिक आकर्षित होता रहा है। इसलिए रत्नों को विभाजित करते समय विशेष रूप से तीन बातों का ध्यान देते हैं कि प्राप्त रत्न निम्न तीन में से किस प्रकार का है।
 
पारदर्शक, अल्प पारदर्शक या अपारदर्शक। पारदर्शक रत्न सर्वोत्तम श्रेणी में आता है। यह भी दो प्रकार का होता है। पहला रंगविहीन यानी जिस रत्न में रंग बिल्कुल ही न हो और दूसरा रंगहीन यानी जिसमें रंग तो हो, दशा में हो अर्थात  रंग न अधिक गहरा हो और न अधिक हल्का तथा पारदर्शक हो। वह श्रेष्ठ होता है। अधिक गहरा रंग होने के कारण रत्न अपारदर्शक हो जाता है। 
 
अपारदर्शक रत्नों में फीरोजा का उच्च स्थान है, तो वैसे नीलम, पुखराज तथा पन्ना भी अपने विशिष्ट रंगों के कारण मनुष्य को अपनी तरफ मोहित करते हैं। रत्नों की दुर्लभता भी मनुष्य को उसकी तरफ आकर्षित होने का एक प्रमुख कारण है। जिन रत्नों में स्थायित्व है तथा उनकी चमक व गुणों पर ऋतुओं व अम्ल आदि के द्वारा कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता वह रत्न अधिक मूल्यवान होता है।
 
हर व्यक्ति के पास इसे खरीदने की क्षमता नहीं होती या अधिक मूल्यवान होने के कारण हर तीसरे-चौथे वर्ष उसे खरीद सकना सम्भव नहीं है। अत: रत्नों में कठोरता होना जिससे कि उसे किसी प्रकार का खरोंच या रगड़ने का दाग न पड़े श्रेष्ठ होता है। जैसे-हीरा, पन्ना, पुखराज आदि। रत्नों के विषय में अग्नि पुराण, गरुड़ पुराण, देवी भागवत, महाभारत, विष्णु धर्मोत्तर आदि अनेकों प्राचीन ग्रंथों में वर्णन मिलता है।
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