भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन पर 27 साल बाद इस बार खंडग्रास चंद्र ग्रहण का साया होगा। इस कारण राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 11.04 से दोपहर 1.53 बजे तक ही है। वैदिक पंचांग अनुसार 1990 में भी रक्षाबंधन के दिन चंद्र ग्रहण लगा था।
ज्योतिषाचार्य चंद्रभूषण व्यास ने बताया कि 27 साल बाद फिर रक्षा बंधन पर चंद्र ग्रहण का यह योग है। यह योग सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव छोड़ेगा। वर्ष 1990 में श्रावण पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण था। पूर्णिमा तिथि के साथ सोमवार एवं श्रावण नक्षत्र इस साल जैसा ही था।
भद्रा काल
रविवार रात 1.24 बजे से सोमवार सुबह 11.04 बजे तक (इस दौरान राखी नहीं बांधें)
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह
11.05 बजे से दोपहर 1.53 बजे तक
ऐसा रहेगा चंद्र ग्रहण
सूतक - दोपहर 1.53 बजे से
स्पर्श - रात 10.29 बजे से
मूल स्वरूप - रात 11.50.29
मोक्ष - रात 12.22
दान-पुण्य सभी के लिए लाभदायक
चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिए। इस पूरे काल के दौरान जाप, मंत्रोच्चार, पूजा-पाठ और दान तो फलदायी होता ही है साथ ही ग्रहण मोक्ष के उपरांत हवन करना, स्नान, स्वर्ण दान, तुला दान आदि उत्तम प्रभाव डालते हैं। ऐसा करना सभी राशि वालों के लिए शुभ रहेगा। इसके अलावा ईष्टदेव की पूजा, आराधना, जप-तप, भजन-कीर्तन व दान करना उत्तम फलदायक होगा।
इन राशियों पर रहेगा असर
इस दिन कुछ राशियों के लिए धन लाभ के योग बन रहे हैं, तो वहीं कुछ राशियों के लिए ये दिन अनुचित रहेगा। मेष, मीन, सिंह, मकर और कुंभ राशि वालों के लिए धन लाभ का योग है तो धनु, तुला, मिथुन, वृश्चिक, कर्क राशि वालों के लिए यह चंद्र ग्रहण सही साबित होता नहीं दिख रहा है। इन राशि वालों को कुछ दिन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है और कई बनते काम रुक सकते हैं।
राखी बांधने से पहले ध्यान रखें ये बात
भद्रकाल के दौरान बहन, भाई को राखी नहीं बांधती है क्योंकि इसे अशुभ माना जाता है। ज्योतिष के मुताबिक भद्रकाल में राखी बांधना घातक होता है। ऐसे में भद्रकाल से पहले या उसके टलने के बाद ही राखी बांधी जाती है। लेकिन इस बार भद्रकाल से ज्यादा चंद्र ग्रहण का डर है। इस बार रक्षा बंधन पर चंद्रग्रहण का साया पड़ रहा है। लोगों को राखी बांधने के समय के दौरान चंद्र ग्रहण के साए का ध्यान रखना होगा।
चंद्र ग्रहण की वजह से इस बार राखी बांधने के लिए कुछ ही घंटों का ही शुभ मुहूर्त है। ज्योतिषों के अनुसार, वर्तमान विक्रमी संवत में श्रावण की शुक्ल पूर्णिका 7 अगस्त को सूर्योदय से पूर्व ही शुरु हो जाएगी और रात के 11 बजकर 41 मिनट पर रहेगी। इसके अलावा चंद्र ग्रहण के सूतक का समय दोपहर 1 बजकर 52 मिनट से शुरू हो जाएगा।’ इसलिए इस बार बहनों को चंद्रग्रहण लगने से पहले ही भाईयों को राखी बांधनी होगी। यह समय होगा सुबह 9 बजे से लेकर दोपहर 1.50 मिनट तक। इस समय के बीच राखी बांधना शुभ रहेगा। बता दें, इस बार रक्षा बंधन पर खंडग्रास चंद्र ग्रहण पड़ रहा है।
इस मंत्र का उच्चारण करना होता है शुभ
रक्षाबंधन का एक मंत्र भी है, ‘येन बद्धो बलि: राजा दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल!!’ राखी बांधते वक्त इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है, इस मंत्र के उच्चारण को शुभ माना जाता है। राखी के दिन भाई और बहन दोनों को शुद्ध वस्त्र धारण करने होते हैं।
ऐसे करें पूजा
यह त्योहार भाई-बहन के प्यार को मजबूत करता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों को राखियां बांधती हैं और भाई उनकी रक्षा का संकल्प करते हैं। राखी बांधने का एक शुभ मुहूर्त होता है, इस समय के बीच ही राखी बांधी जाती है। रक्षा बंधन के दिन सबसे पहले भाई और बहन दोनों स्नान करते हैं, इसके बाद भगवान की पूजा की जाती है। पूजा के लिए थाल में रोली, अक्षत रखकर दीपक जलाया जाता है। इसके साथ ही थाली में राखियां रखी होती हैं, उनकी भी साथ में पूजा की जाती है।