रक्षाबंधन पर इस साल चंद्रग्रहण पड़ रहा है। लेकिन, इसके साथ ही इस बार 27 सालों बाद एक और संयोग बना है, जो कुछ राशियों के लिए अच्छा तो कुछ पर बुरा असर भी डाल सकता है। इस बार श्रावणी उपाक्रम और रक्षाबंधन अलग-अलग दिन हैं।
वर्ष 1990 में श्रावण पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण था। पूर्णिमा तिथि, सोमवार एवं श्रावण नक्षत्र इस बार की तरह ही तब भी थे। इसका सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। श्रावण माह की पूर्णिमा को श्रावणी उपाक्रम किया जाता है। इस वर्ष ग्रहण होने से उपाक्रम श्रावण शुक्ल पंचमी तिथि या हस्त नक्षत्र युता पंचमी में करना चाहिए जो कि 28 जुलाई को है। ग्रहण या संक्रांति से युक्त दिन में उपाक्रम नहीं करते।
ग्रहण का 12 राशियों पर प्रभाव
मेष- शरीरिक कष्ट, तनाव
वृष- मन परेशान, बंधु से विरोध
मिथुन- लाभ एवं उन्नति
कर्क- गृहस्थ में तनाव, क्लेश
सिंह- धन का व्यय, संघर्ष
कन्या- शत्रु भय, चिंता बढ़ेगी
तुला- कार्य लाभ, वाहन लाभ
वृश्चिक- सफलता, संतान सुख
धनु- बनते कार्यों में बाधाएं
मकर- शरीर कष्ट, उलझनें
कुंभ- खर्च में वृद्धि, धन हानि
मीन- उन्नति, श्रेष्ठ जनों से लाभ
ये है विधान
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन संक्रांति तो नहीं है परंतु मध्य रात्रि से पूर्व खंड चंद्र ग्रहण घटित होने से श्रावणी उपाक्रम 28 जुलाई को हस्ता नक्षत्र युता श्रावण शुक्ल पंचमी (उदयकालीन पंचमी) में होगा। श्रावण शुक्ल पक्ष में श्रवण नक्षत्र के अंतर्गत वेद पुरायण, स्वाध्याय आदि शुभ कृत्य को ही उपाक्रम कहा जाता है। प्राचीन काल में गुरु अपने शिष्यों के साथ यह कर्म करते थे। वर्षभर भूलवश हुए पापों के निराकरण के लिए प्रायश्चित के रूप में हेमाद्रि स्नान संकल्प कर दश विध स्नान करने का विधान है। श्रावणी पर्व से ही चारों वेदों का अध्ययन प्रारंभ किया जाता है। इस दिन जनेऊ धारक जनेऊ की पूजा करते हैं।