23 Apr 2024, 11:57:09 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Astrology

मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं नौ ग्रह

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jul 2 2017 10:37AM | Updated Date: Jul 2 2017 10:37AM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

भारतीय ज्योतिष के अनुसार ग्रहों का मनुष्य के शरीर और स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। ज्योतिष शास्त्र में शुभ-अशुभ फल के सूचक नौ ग्रह माने गए हैं- सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शनि, राहु और केतु। इनमें राहु और केतु छाया ग्रह कहे जाते हैं। स्वास्थ्य के नाते सभी के अलग-अलग प्रभाव क्षेत्र हैं।

सूर्य : यह आयु, अस्थि, सिर, हृदय, प्राण, शक्ति, मेदा, रक्त तथा पित्त को प्रभावित करते हैं। इनके बली होने पर शरीर स्वस्थ रहता है तथा निर्बल होने पर हृदय, नेत्र, पित्त, चर्म आदि प्रभावित होते हैं। उष्णवात, मूर्च्छा, शिरोरोग, अस्थि रोग की आशंका होती है।

चंद्र : यह जल तत्व तथा दीर्घ कद वाला जलीय ग्रह है। यह व्यक्ति के नेत्र, वक्ष, फेफड़ा, मन, मस्तिष्क, उदर, मूत्राशय, रक्त, रस, धातु, शारीरिक पुष्टि व कफ को प्रभावित करता है। इसके निर्बल होने पर कफ विकार, मूत्र विकार, मुख रोग, नासिका रोग, मानसिक रोग होते हैं। यदि चंद्रमा व लग्न से अष्टम स्थानों में कोई ग्रह न हो और शुक्र, गुरु बली हों तो मानव पूणार्यु प्राप्त करता है।
 
मंगल : यह अग्नि तत्व तथा छोटे कद वाला शुष्क ग्रह है। यह कान, कपाल, मज्जा, शारीरिक शक्ति, दाह, शोथ, धैर्य एवं पित्त को प्रभावित करता है। इसके बली होने पर हड्डियां मजबूत होती हैं व साहस, धैर्य में वृद्धि होती है।
 
बुध : यह वाणी, जिह्वा, स्वरचक्र, केश, मुख, हाथ व त्रिधातु को प्रभावित करता है। इसके बलवान होने पर बालक का मस्तिष्क पूर्ण विकसित होता है।
 
गुरु : यह आकाश तत्व तथा मध्यम कद का जलीय ग्रह है। यह चर्बी, वीर्य, उदर, रक्त, धमनी, त्रिदोष और कफ को प्रभावित करता है। इसके पुष्ट होने पर शरीर स्वस्थ रहता है, विचार शक्ति अच्छी होती है, मन में शांति और मनोबल बना रहता है।
 
शुक्र : यह जननेंद्रिय, शुक्राणु, नेत्र, कपोल, स्वर, गर्भाशय एवं संवेग शक्ति को प्रभावित करता है। शुक्र व वृहस्पति यदि केंद्र में हों तो मनुष्य की 100 वर्षों की आयु होती है।  
 
शनि : यह ग्रह हड्डियों के जोड़, पैर, घुटने, वात संस्थान, स्नायु संस्थान, मज्जा तथा वात को प्रभावित करते हैं।
 
राहु : यह वायु तत्व और मध्यम कद वाला ग्रह है। यह शरीर में मस्तिष्क, रक्त, त्वचा एवं वात को प्रभावित करता है। इसके बली होने पर शरीर में फुर्ती, ताजगी एवं चैतन्यता बनी रहती है। 
 
केतु : यह वायु तत्व तथा छोटे कद वाला ग्रह है। यह शरीर में वात, रक्त तथा चर्म को विशेष रूप से प्रभावित करता है। इसके बलवान होने पर शरीर में श्रम शक्ति, संघर्ष शक्ति, प्रतिरोध शक्ति एवं सक्रियता बनी रहती है। यहां बताए जा रहे सभी ग्रह योग, युति, दृष्टि के आधार पर मानव जीवन को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि मनुष्य अपने सत्कर्मों से इनके दुष्प्रभाव में कमी कर खुशहाल जीवन जी सकता है। 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »