हिंदू धर्म में बड़ों के पैर छूकर उनके आशीर्वाद लेने और दोनों हाथ जोड़कर उनका सत्कार करने का विधान है। जो भले ही आज के मॉडर्न युग में आउटडेटेड से लगते हों लेकिन शास्त्रों द्वारा इन्हें व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण स्थान देने के पीछे बहुत से कारण छिपे हुए हैं। आमतौर पर अपनी उम्र से बड़े व्यक्ति से मिलने या फिर मंदिर में भगवान के दर्शन करते समय हमें सबसे पहले अपने दोनों हाथ जोड़कर उनका सत्कार करना चाहिए। चलिए जानते हैं नमस्कार करने के पीछे का कारण और इसे करने का सही तरीका क्या है।
नमस्कार करने के पीछे व्यक्ति को आध्यात्मिक के साथ-साथ व्यवहारिक लाभ की प्राप्ति भी होती है। देवताओं और अपनी उम्र से बड़े सज्जनों को नमस्कार करने से हमारे आंतरिक गुणों और आदर्शों में वृद्धि होती है। ऐसा करने से हम खुद को सुधारने का प्रयत्न करने लगते हैं। कहीं ना कहीं यह हमें व्यवहारिक लाभ प्रदान करता है।
किसी को नमस्कार करने से मानव मस्तिष्क में संचारित ‘अहम’ की भावना में कमी आती है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के भीतर नम्रता का भाव जागृत होता है। दोनों हाथ जोड़कर व्यक्ति अगर किसी के सामने झुकता है तो इससे उसके भीतर कृतज्ञता का एहसास उत्पन्न होता है। इससे व्यक्ति के अंदर आध्यात्मिक विकास होता है और साथ ही साथ लोगों के प्रति उसके व्यवहार में कुशलता आती है।