वास्तुशास्त्र के अनुसार जिस स्थान पर वास्तुदोष होता है, वहां कभी सुख-समृद्धि अपने पांव नहीं पसार सकती। ये दोष किसी भी दिशा से मानव जीवन पर वार कर अपना नकारात्मक प्रभाव दिखाता है। जिसके परिणामस्वरूप लाख प्रयत्न करने पर भी व्यक्ति संतापों से ग्रस्त रहता है। पूर्व और उत्तर दिशा में घर का मुख्य द्वार होना सबसे उत्तम है। ऐसा द्वार घर में समृद्घि और शोहरत लेकर आता है।
पश्चिम अथवा दक्षिण दिशा में घर का मुख्य द्वार हो तो भी खुशहाली का समावेश किया जा सकता है बेशर्ते घर में एक से अधिक वास्तुदोष विद्यमान नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार चार भुजाओं की चौखट वाला ही बनवाएं। ऐसा करने से घर में संस्कार बने रहते है और मां लक्ष्मी भी ऐसे ही घर में प्रवेश करती है। जिन घरों के मुख्य द्वार वास्तु सम्मत न बनें हो तो ऐसे द्वार को समृद्ध और खुशहाल कैसे बनाया जाए घर की गृहलक्ष्मी सूर्योदय से पूर्व मुख्यद्वार पर गंगा जल छिड़के, स्वास्तिक बनाए, रंगोली सजाए।