पौराणिक काल में सूर्य को आरोग्य देवता भी माना जाने लगा था। सूर्य की किरणों में कई रोगों को नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है। ह्रदय रोगियों के लिए भी सूर्य की उपासना करने से आशातीत लाभ होता है। उन्हें आदित्य ह्रदय स्तोत्र का नियमित पाठ करना चाहिए। इससे सूर्य भगवान प्रसन्न होते हैं और दीर्घायु होने का फल प्रदान करते हैं। आदित्य का जो रूप सूर्यास्त से पूर्व होता है वह निधन है। उसके उस रूप के अनुगत पितृगण हैं, इसी से श्राद्धकाल में उन्हें पितृ-पितामह आदि रूप से दर्भ पर स्थापित करते हैं क्योंकि वे पितृगण निश्चय ही इस साम की निधन भक्ति के पात्र हैं। इसी प्रकार इस आदित्य रूप सप्तविध साम की उपासना करते हैं। इसी छंदोग्योपनिषद के 19वें खंड के अध्याय-3 में बतलाया गया है कि आदित्य ब्रह्म है।
उपाय और मंत्र जाप -
- ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए तांबे के पात्र में पुष्प रखकर उन्हें जल चढ़ाएं।
- सूर्य भगवान की कृपा पाने के लिए प्रत्येक रविवार गुड़ और चावल को नदी अथवा बहते पानी में प्रवाहित करें।
- तांबे का सिक्का नदी में प्रवाहित करने से भी सूर्य भगवान की कृपा रहती है।