चैत्र नवरात्र का वास्तुशास्त्र में भी अलग ही महत्व है। मां दुर्गा के नौ रूप नौ ग्रहों से जुड़े हैं और इस तरह हर ग्रह माता के किसी न किसी रूप का प्रतिनिधि ग्रह है। वास्तुशास्त्र में भी नवरात्र पूजा की महिमा का वर्णन किया गया है। अगर नवरात्र पूजा विधिवत की जाए तो वास्तु के कई दोषों की शांति होती है। वास्तुशास्त्र में ईशान यानी उत्तर-पूर्व को पूजा स्थल के लिए सर्वोत्तम स्थान बताया गया है। आप इस दिशा में पूजा स्थल या नवरात्र के लिए कलश स्थापना कर सकते हैं। लेकिन पूजा के उत्तम फल और वास्तुशांति के लिए देवी-देवता से संबंधित दिशा में ही पूजा या कर्मकांड किया जाए तो वह पूजा अधिक फलदाई होती है।