लगभग सभी हिंदू घरों में मंदिर बनाए जाते हैं, जहां से उनके दिन का आरंभ होता है। अधिकतर लोग अपनी सहूलियत के अनुसार पूजा-पाठ करते हैं। जोकि सरासर गलत है। पूजन संबंधी कुछ नियम होते हैं जिनका पालन हर जन को अनिवार्य रूप से करना चाहिए।
वास्तु के नियमों की बात करें तो मकान के पूर्व-उत्तर में पूजा का स्थान सर्वोत्तम माना गया है। इस स्थान पर पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है। घर में देवी-देवताओं की फोटों एवं मूर्तियां इस प्रकार स्थापित करना चाहिए कि, पूजा करते समय हमारा मुंह उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो।
मूर्तियां छोटी और कम वजनी ही बेहतर होती हैं। अगर कोई मूर्ति खंडित या क्षतिग्रस्त हो जाए तो उसे तुरंत पूजा स्थल से हटा कर कहीं बहते जल में प्रवाहित कर देना चाहिए। यह भी ध्यान देना चाहिए कि भगवान का चेहरा कभी भी ढका नहीं होना चाहिए। यहां तक कि फूल-माला से भी चेहरा नहीं ढकना चाहिए।
घर के मंदिर में प्रतिदिन सुबह और शाम पूजन के समय घंटी अवश्य बजाएं, घंटी की ध्वनी से नकारात्मकता का नाश होता है और सकारात्मकता में बढ़ौतरी होती है। तुलसी के पत्ते और गंगाजल कभी बासी नहीं होते। इसके अतिरिक्त किसी भी बासी सामग्री को उपयोग न करें। रात को सोने से पहले मंदिर के आगे पर्दा करें ताकि भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न न हो।