रुद्राक्ष की माला रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत ही प्रिय है। इसे परम पावन समझना चाहिए। रुद्राक्ष के दर्शन से, स्पर्श से तथा उसपर जप करने से वह समस्त पापों का हरण करने वाला माना गया है।
भगवान शिव ने समस्त लोकों का उपकार करने के लिए देवी पार्वती के सामने रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन किया था। आइए जानते हैं क्या है रुद्राक्ष की महिमा, क्यों, कैसे, किन्हें धारण करना चाहिए रुद्राक्ष। साथ ही यह भी जानेंगे कि धारक के लिए कितना लाभकारी है रुद्राक्ष।
शिव के आंसुओं से उत्पन्न- शिव महापुराण में भगवान शिव ने माता पार्वती को रुद्राक्ष की पूरी महिमा सुनाई है। भगवान शंकर के अनुसार, ''पूर्वकाल की बात है, मैं मन को संयम में रखकर हजारों दिव्य वर्षों तक घोर तपस्या में लगा रहा। एक दिन सहसा मेरा मन क्षुब्ध हो उठा।
मैं संपूर्ण लोकों का उपकार करने वाला स्वतंत्र परमेश्वर हूं। अत: उस समय मैंने लीलावश ही अपने दोनों नेत्र खोले, खोलते ही मेरे नेत्र पुटों से कुछ जल की बूंदें गिरीं। आंसुओं की उन बूंदों से वहां रुद्राक्ष नामक वृक्ष पैदा हो गया।
शिव महापुराण के अनुसार, भक्तों पर अनुग्रह करने के लिए वे अश्रुबिंदु स्थावर भाव को प्राप्त हो गए। वे रुद्राक्ष भगवान शिव ने विष्णुभक्त को तथा चारों वर्णों के लोगों को बांट दिया।
रुद्राक्ष के भी हैं चार वर्ण
भगवान शिव कहते हैं, ''मेरी आज्ञा से वे (रुद्राक्ष) ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जाति के भेद से इस भूतलपर प्रकट हुए। रुद्राक्षों की ही जाति के शुभाक्ष भी हैं। उन ब्राह्मणादि जातिवाले रुद्राक्षों के वर्ण श्वेत, रक्त, पीत तथा कृष्ण हैं। मनुष्यों को चाहिये कि वे क्रमश: वर्ण के अनुसार अपनी जाति का ही रुद्राक्ष धारण करें।
सबके लिए है रुद्राक्ष
ब्रह्मचारी, वानप्रस्थ, गृहस्थ और संन्यासी - सबको नियमपूर्वक रुद्राक्ष धारण करना उचित है। इसे धारण करने का सौभाग्य बड़े पुण्य से प्राप्त होता है। रुद्राक्ष शिव का मंगलमय लिंग विग्रह है।
सूक्षम रुद्राक्ष को ही सदा प्रशस्त माना गया है। सभी आश्रमों, समस्त वर्णों, स्त्रियों और शूद्रों को भी भगवान शिव की आज्ञा के अनुसार सदैव रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। श्वेत रुद्राक्ष केवल ब्राह्मणों को ही धारण करना चाहिए।
गहरे लाल रंग का रुद्राक्ष क्षत्रियों के लिए हितकर बताया गया है। वैश्यों के लिए प्रतिदिन बारंबार पीले रुद्राक्ष को धारण करना आवश्यक है और शूद्रों को काले रंग का रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह वेदोक्त मार्ग है।
रुद्राक्ष के आकार
शिव महापुराण के अनुसार, जो रुद्राक्ष बेर के फल के बराबर होता है, वह उतना छोटा होने पर भी लोक में उत्तम फल देनेवाला तथा सुख सौभाग्य की वृद्धि करने वाला होता है।
जो रुद्राक्ष आंवले के फल के बराबर होता है, वह समस्त दु:खों का विनाश करने वाला होता है तथा जो बहुत छोटा होता है, वह सम्पूर्ण मनोरथों और फलों की सिद्धि करने वाला है।
रुद्राक्ष जैसे-जैसे छोटा होता है, वैसे ही वैसे अधिक फल देने वाला होता है। एक-एक बड़े रुद्राक्ष से एक-एक छोटे रुद्राक्ष को विद्वानों ने दसगुना अधिक फल देने वाला बताया है।
कैसे रुद्राक्षों को करें धारण
समान आकार-प्रकार वाले चिकने, मजबूत, स्थूल, कण्टकयुक्त और सुंदर रुद्राक्ष अभिलाषित पदार्थों के दाता तथा सदैव भोग और मोक्ष देने वाले हैं। वहीं जिसे कीड़ों ने दूषित कर दिया हो, जो टूटा-फूटा हो, जिसमें उभरे हुए दाने न हों, जो व्रणयुक्त हों तथा जो पूरा-पूरा गोल न हो, इन पांच प्रकार के रुद्राक्षों को त्याग देना चाहिए।