बिहार में सूर्योपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ के दूसरे दिन शनिवार को लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र गंगा नदी समेत अन्य नदियों तथा तलाबों में स्रान किया। महापर्व छठ के दूसरे दिन सुबह श्रद्धालुओं ने नदियों, तालाबों में स्रान करने के बाद उपवास शुरू किया। दिनभर के निर्जला उपवास के बाद व्रती सूर्यास्त होने पर भगवान सूर्य की पूजा कर एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं। इसके बाद चांद नजर आने के बाद करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू हो गया। इस महापर्व के तीसरे दिन रविवार को व्रतधारी अस्ताचलगामी सूर्य को नदियों और तालाबों में खड़े होकर प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे। व्रतधारी अस्त हो रहे सूर्य को फल और कंद मूल से अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के चौथे और अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य देंगे। दूसरा अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का करीब 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करेंगे।