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Astrology

जानिए धनतेरस पर क्या खरीदना रहेगा शुभ, ये है महूर्त

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 27 2016 8:42PM | Updated Date: Oct 27 2016 8:42PM
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पौराणिक कथाओं में धन्वन्तरि के जन्म का वर्णन करते हुए बताया गया है कि देवता और असुरों के समुद्र मंथन से धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। वह अपने हाथों में अमृत कलश लिए प्रकट हुए थे। इस कारण उनका नाम पीयूषपाणि धन्वन्तरि विख्यात हुआ। उन्हें विष्णु का अवतार भी माना जाता है।

शास्त्रो के अनुसार शुक्रवार का दिन देवी लक्ष्मी का माना गया है। इस वर्ष शुक्रवार के दिन धनतेरस भी है। इसलिए इस साल धनतेरस बड़ा ही शुभ संयोग लेकर आई है। ऐसे में धनतेरस पर खरीदारी करना बेहद शुभ रहेगा।

पूजन का शुभ महूर्त
धनतेरस पूजा के लिए 28 अक्टूबर को शाम 5. 35 मिनट से 6. 20 मिनट तक मुहूर्त है। प्रदोष काल 5. 35 मिनट से 8.11 मिनट तक हैं। लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल के दौरान होना चाहिए। प्रदोष काल की अवधि 2 घंटे 24 मिनट की है।
   
क्या हैं मान्यता
परम्परा के अनुसार, धनतेरस की संध्या को यम के नाम का दीया घर की देहरी पर रखा जाता है और उनकी पूजा करके प्रार्थना की जाती है कि वह घर में प्रवेश नहीं करें और किसी को कष्ट नहीं पहुंचाएं। देखा जाए तो यह धार्मिक मान्यता मनुष्य के स्वास्थ्य और उसके दीर्घायु जीवन से प्रेरित है।
              
पौराणिक कथा
यम के नाम से दीया निकालने के बारे में भी एक पौराणिक कथा है। एक बार राजा हिम ने अपने पुत्र की कुंडली बनवाई। इसमें यह बात सामने आई कि शादी के ठीक चौथे दिन सांप के काटने से उसकी मौत हो जाएगी। हिम की पुत्रवधू को जब इस बात का पता चला तो उसने निश्चय किया कि वह हर हाल में अपने पति को यम के कोप से  बचाएगी।

शादी के चौथे दिन उसने पति के कमरे के बाहर घर के सभी जेवर और सोने-चांदी के सिक्कों का ढेर बनाकर उसे पहाड़ का रूप दे दिया और खुद रात भर बैठकर उसे गाना और कहानी सुनाने लगी ताकि उसे नींद नहीं आए।
           
रात के समय जब यम सांप के रूप में उसके पति को डसने आया तो वह आभूषणों के पहाड़ को पार नहीं कर सका और उसी ढेर पर बैठकर गाना सुनने लगा। इस तरह पूरी रात बीत गई। अगली सुबह सांप को लौटना पड़ा।

इस तरह उसने अपने पति की जान बचा ली। माना जाता है कि तभी से लोग घर की सुख-समृद्धि के लिए धनतेरस के दिन अपने घर के बाहर यम के नाम का दीया निकालते हैं ताकि यम उनके परिवार को कोई नुकसान नहीं पहुंचाए।

धनतेरस का महत्व
भारतीय संस्कृति में स्वास्थ्य का स्थान धन से ऊपर माना जाता रहा है। यह कहावत आज भी प्रचलित है 'पहला सुख निरोगी काया, दूजा सुख घर में माया' इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। यह भारतीय संस्कृति के सर्वथा अनुकूल है।
              
आभूषण खरीदने की परम्परा
धनतेरस के दिन सोने और चांदी के बर्तन, सिक्के तथा आभूषण खरीदने की परम्परा रही है। सोना सौंदर्य में वृद्धि तो करता ही है मुश्किल घड़ी में संचित धन के रूप में भी काम आता है। कुछ लोग शगुन के रूप में सोने या चांदी के सिक्के भी खरीदते हैं।
  
धनतेरस पर वाहन खरीदना शुभ            
बदलते दौर के साथ लोगों की पसंद और जरूरत भी बदली है इसलिए इस दिन अब बर्तनों और आभूषणों के अलावा वाहन, मोबाइल आदि भी खरीदे जाने लगे हैं। इस दिन लोग गाड़ी खरीदना शुभ मानते हैं। कई लोग तो इस दिन कम्प्यूटर और बिजली के उपकरण भी खरीदते हैं।
 

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