महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा 1727 ईसवी में बसाया गया शहर जयपुर आज भी दुनियाभर के पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। इस शहर की लोकप्रियता का बड़ा कारण वास्तु को ही माना जाता है, जिसके आधार पर इस शहर को बसाया गया था। वास्तु का यह प्रभाव आप अपने घर पर भी देख सकते हैं। तो क्यों न अपने घर के निर्माण में वास्तु का ध्यान रखें।
वास्तुशास्त्र एक सार्वभौमिक विज्ञान है। विज्ञान की अन्य किसी शाखा की तरह यह पौराणिक विज्ञान भी समय के साथ-साथ साक्षात सकारात्मक परिणामों द्वारा अपनी उपयोगिता सिद्ध करता आ रहा है। यह व्यवस्थित नियमों पर चलने वाला एक विज्ञान है, जो पंचतत्वों यानी जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश से बने प्रकृति के नियमों का पंचतत्वों से बने मनुष्य पर होने वाले प्रभावों के बारे में प्रभावी ढंग से बताता है। कुछ बातों का ध्यान रख कर इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
वास्तु शास्त्र के संबंध में बहुत कुछ कहता है पौराणिक विज्ञान
प्रायोगिक रूप से हम कुछ साधारण वास्तु नियमों का ही पालन कर लें तो भी अपने जीवन में कई क्लेशों, झगड़ों आदि से आसानी से बच सकते हैं। कई बार देखने में आता है कि अपने भवन या मकान में किसी शुभ महूर्त के चलते हम जल्दबाजी में शिफ्ट हो जाते हैं। ऐसे अपूर्ण मकान में शिफ्ट होने की जल्दबाजी हमारे लिए नुकसानदायक सिद्ध हो सकती है।
मकान में पेंट न हुआ हो, एक-दो स्थानों पर दरवाजे न लगे हों या कुछ स्थानों पर टाइल्स या पत्थर लगवाने की खाली जगह पड़ी हो तो भी हम उसे बाद में पूरा कराने की सोच वहां रहने लगते हैं। यह वास्तुदोष है। यदि नए घर में प्लास्टर पूरा नहीं है, ईंट दीवार में से दिखाई दे रही है अथवा प्लास्टर तो है, पर पेंट नहीं किया गया है तो भी एक तरह का वास्तुदोष बन जाता है और ऐसे में गृह कलह होती है। अगर आप मकान किराए पर ले रहे हैं, तब भी उसमें शिफ्ट होने से पहले एक बार पेंट जरूर करवाएं।
अगर मकान में कहीं-कहीं प्लास्टर उखड़ रहा हो तो उसकी भी मरम्मत करना जरूरी ही मानें, क्योंकि दीवारों या फर्श में दरारें और उखड़ा हुआ प्लास्टर वास्तु के हिसाब से सही नहीं है। इसके चलते आपको मानसिक परेशानी हो सकती है। आपके घर में किसी कमरे, किचन या अन्य किसी स्थान की टाइल्स टूटी हुई है तो उसे जल्दी ठीक कराना चाहिए, क्योंकि टूटी टाइल भी वास्तुशास्त्र के हिसाब से ठीक नहीं मानी जाती। ऐसे में घर में बीमारी होने की आशंका रहती है।
यदि फर्श का यह टूटा टुकड़ा ईशान कोण का है तो अक्सर स्वास्थ्य संबंधी समस्या देखने को मिलती है। भवन के अलग-अलग हिस्सों में, जैसे दक्षिणपूर्व के फर्श के पत्थर निकल जाने पर व्यापारिक समस्या व दक्षिण पश्चिम की तरफ से फर्श की टाइल्स टूट जाने पर परिजनों के आपसी संबंधों के बीच खटास होने की बात हो सकती है।
प्रवेश द्वार पर विशेष ध्यान दें
वास्तुशास्त्र में किसी भी घर या मकान के प्रवेश द्वार को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, इसलिए प्रवेश द्वार के दोष को वास्तुशास्त्र में विशेष दोष माना गया है। प्रवेश द्वार का स्वरूप चाहे मेनगेट का हो या चौखट वाले द्वार का, वहां यदि फर्श का कोई पत्थर या टाइल चिटका या टूटा हुआ है तो पूरे घर में ऊर्जा का उचित प्रवाह नहीं होता। ऐसे में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।