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Astrology

चाहिए समृद्धि तो आज करें 14 गांठों वाले धागे अनंत की पूजा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 15 2016 10:02AM | Updated Date: Sep 15 2016 10:02AM
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घर में समृद्धि की चाह रखने वालों के लिए आज का दिन बहुत ही खास है। भादो माह के शुक्‍ल पक्ष की चतुदर्शी को भगवान सत्‍यनारायण यानी विष्‍णु जी की आराधना होती है। आज देशभर में भक्ति भाव से श्रद्धालु भगवान श्री नारायण की पूजा होगी। 

पूजा-अर्चना के बाद व्रत धारण करने वाले अनंत के निमित्त आराधना करेंगे। इसके बाद पुरुष दक्षिण भुजा में एवं महिलाएं बायीं भुजा में अनंत सूत्र धारण करेंगी। 

शास्‍त्रों के मुताबिक अनंत चतुदर्शी का व्रत वैसे तो नदी तट पर करना श्रेष्ठकर होता है। लेकिन किसी मंदिर, पर्वत शिखर या फिर घरों में पूजा गृह में कथा श्रवण का भी श्रेयस्कर परिणाम मिलता है। अनंत राखी के समान रूई या रेशम के कुंकू रंग में रंगे धागे होते हैं और उनमें चौदह गांठे होती हैं। इन्हीं धागों से अनंत का निर्माण होता है। यह व्यक्तिगत पूजा है, इसका कोई सामाजिक धार्मिक उत्सव नहीं होता। 
 
व्रत से जुड़ी कथा
बात सतयुग की है, तब सुमन्तु नाम नाम के मुनि रहते थे। उनकी एक बेटी थी, जिसका नाम था 'शीला'। सुमन्तु ने अपनी बेटी का विवाह कौण्डिन्य मुनि से किया।
 
एक बार जब कौण्डिन्य मुनि पत्नी शीला के साथ ससुराल से घर लौट रहे थे, तब रास्ते में नदी के किनारे कुछ स्त्रियां अनंत भगवान( भगवान विष्णु) की पूजा करते दिखाई दीं। शीला ने अनंत-व्रत का महिमा जानकर उन स्त्रियों के साथ अनंत भगवान का पूजन करके अनंत सूत्र बांध लिया। इस तरह उनका घर धन-धान्य से परिपूर्ण हो गया।
 
तभी एक दिन कौण्डिन्य मुनि पत्नी के बाएं हाथ में बंधे अनंत सूत्र पर पडी, जिसे देखकर वह भ्रमित हो गए और उन्होंने पूछा, 'क्या तुमने मुझे वश में करने के लिए यह सूत्र बांधा है?' और उन्होंने अनंत सूत्र को जादू-मंतर वाला वशीकरण करने का डोरा समझकर तोड दिया।
 
इस जघन्य कार्य का परिणाम भी शीघ्र ही सामने आ गया। उनकी सारी संपत्ति नष्ट हो गई। दीन-हीन हो गए। जब कौण्डिन्य मुनि को वास्तविक स्थिति का ज्ञान हुआ तो उन्होंने नियमानुसार व्रत किया और उनके 'अच्छे दिन' फिर से वापिस आ गए।
 
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