29 Mar 2024, 19:52:44 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Astrology

हिन्दू धर्म में आठ तरह की शादियां

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Aug 26 2016 2:16PM | Updated Date: Aug 26 2016 2:16PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

हिंदू धर्म में शादी एक ऐसा पवित्र बंधन है, जो दो लोगों को नहीं, बल्कि दो परिवारों को सात जन्मों के बंधन में बांध देता है। ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में सोलह संस्कार होते है, जिनमें से विवाह को एक संस्कार माना जाता है। हिंदू धर्म में शारीरिक संबंधों से ज्यादा आत्मिक संबंध को अहमियत दा जाती है और इसी को पवित्र बंधन का नाम दिया जाता है।  
 
ब्रह्म विवाह
जब लड़का और लड़की दोनों पक्षों की आपसी सहमति से रिश्ता किया जाता है, तो उसे ब्रह्म विवाह कहा जाता है। हिंदु धर्म में इस विवाह को पहला स्थान दिया जाता है। इस तरह के विवाह में लड़की को आभूषणों और दान-दहेज के साथ ससुराल विदा किया जाता है।
 
देव विवाह
देव विवाह तब किया जाता है, जब सेवा कार्य के रूप में अपनी कन्या को दान कर दिया जाता है। धार्मिक अनुष्ठान के लिए कन्या को दान करना देव विवाह कहलाता है।
 
आर्श विवाह
हिंदू धर्म में आर्श विवाह वह है, जब वर पक्ष के लोग कन्या पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देते हैं और फिर उस कन्या से विवाह करते हैं।
 
प्रजापत्य विवाह
प्रजापत्य विवाह वह कहलाता है, जब किसी कन्या की मर्ज़ी के बगैर विवाह कर दिया जाता है। अगर कोई अपना कन्या को उसका सहमति के बिना उससे अधिक उम्र के वर से विवाह कर दिया जाता है, तो उसे प्रजापत्य विवाह कहते हैं।

गंधर्व विवाह
जब बिना परिवार की मर्जी के लड़का-लड़की शादी कर लेते हैं, तो उसको गंधर्व विवाह कहते हैं।
 
असुर विवाह
किसी लड़की की कीमत चुकाकर उसे खरीद लेना और फिर उससे शादी करना असुर विवाह कहलाता है।
 
राक्षस विवाह
किसी लड़की का अपहरण कर लेना और फिर उससे जबरन शादी करना राक्षस विवाह कहलाता है।
 
पैशाच विवाह
किसी लड़की की मजबूरी का फायदा उठाकर उसके साथ शारीरिक संबंध बना लेना और बाद में शादी कर लेना पैशाच विवाह कहलाता है।
बेशक ही हमारे हिन्दू धर्म की शादियां आठ प्रकार में बांटी गई है, लेकिन ब्रह्म विवाह को ही सामाजिक तौर ज्यादा अहमियत दी जाती है। 
 

 

  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »