यदि आप अपने घर में या किसी देवालय में शिवलिंग की स्थापना करने जा रहे हैं तो नि:संदेह यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद सिद्ध होने वाली है। शिवलिंग स्थापना से पूर्व शिव पुराण में वर्णित शिवलिंग स्थापना की विधि को भलिभांति समझना अत्यंत ही जरूरी है। तो आइए, जानते हैं कैसे करें शिवलिंग की स्थापना।
पुराणों में में मिलती है जानकारी
पुराणों में शिव महापुराण की महिमा सबसे ज्यादा मानी गई है। इसी पुराण के ग्यारहवें अध्याय में सूत जी ऋषियों को शिवलिंग की स्थापना, उसके लक्षण और पूजन की विधि का वर्णन करते हैं। इसी अध्याय में शिवपद की प्राप्ति कराने वाले सत्कर्मों की विवेचना भी की गई है। शिव महापुराण के अनुसार अनुकूल और शुभ समय में किसी पवित्र तीर्थ में, नदी आदि के तट पर या अपनी रुचि के अनुसार ऐसी जगह शिवलिंग की स्थापना करनी चाहिए जहां नित्य पूजन हो सके।
कैसे करें शिवलिंग पीठ की स्थापना
शिव महापुराण के अनुसार उत्तम लक्षणों से युक्त शिवलिंग की स्थापना पीठ सहित करनी चाहिए। शिवलिंग का पीठ मंडलाकार (गोल), चौकोर, त्रिकोण अथवा खाट के पाए की तरह ऊपर और नीचे मोटा तथा बीच में पतला होना चाहिए। ऐसे लिंग-पीठ को महान फलदायी माना गया है। पहले मिट्टी पत्थर आदि से अथवा लोहे आदि से शिवलिंग का निर्माण करना चाहिए। ध्यान रहे जिस द्रव्य से शिवलिंग का निर्माण हो, उसी से उसका पीठ भी बनाना चाहिए।