ईश्वर की उपासना में उपयोग होने वाली सामग्री जैसे, धूप-दीप, प्रसाद और फूल हर चीज का अपना महत्व है और यह पूजा को सफल बनाने के के महत्वपूर्ण अंग हैं। मंदिर में कुछ देर बैठने भर से अपार मानसिक सुख मिलता है। मन शांत सा हो जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ईश्वर के हर रूप की उपासना में इन पूजन सामग्रियों का प्रयोग क्यों होता है?
पूजा में अगरबत्ती के विशेष प्रयोग
व्यक्ति के मन को एकाग्र करने के लिए सुगंध का प्रयोग करते हैं।
तनाव घटाने के लिए भी सुगंध का प्रयोग किया जाता है।
सुगंध से व्यक्ति अपने मन की तमाम चिंताओं को तुरंत दूर कर सकता है।
पूजन के दौरान दीपक तो आप भी जलाते ही होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि उपासना में दीपक जलाने की परंपरा का कारण क्या है. आखिर अलग-अलग उपासना में अलग-अलग तरह के दीपक क्यों जलाए जाते हैं।
हम ईश्वर को प्रकाश के रूप में मानते हैं।
दीपक जलाकर उसकी ज्योति के रूप में ईश्वर को स्थापित करते हैं।
दीपक से एकाग्रता और ऊर्जा दोनों प्राप्त होती है।
अलग-अलग मुखी दीपक जलाकर अलग मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं।
पूजा-उपासना में प्रसाद का महत्व
ईश्वर के हर रूप को अलग-अलग तरह के प्रसाद चढ़ाए जाते हैं। ज्योतिष के जानकारों की मानें तो पूजन में प्रसाद अर्पित करना जरूरी नहीं लेकिन जिस पूजा में प्रसाद शामिल हो उसे उत्तम माना जाता है।
ईश्वर की कृपा को अपने अंदर लाने के लिए प्रसाद चढ़ाते हैं।
प्रसाद के बिना भी पूजा हो सकती है लेकिन पूजा में प्रसाद हो तो ज्यादा अच्छा होगा।
फल, मिठाई और जल भी प्रसाद के रूप में चढ़ाया जा सकता है।