शैलेंद्र जोशी-इंदौर
इंदौर। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी गुड़ी पड़वा से लगने वाले नवसंवत्सर-2073 की शुरुआत 8 अप्रैल को सौम्यता के साथ होगी। शंकराचार्य मठ के प्रभारी गिरीशानंद महाराज ने बताया शुक्रवार से शुरू हो रहे नवसंवत्सर के राजा भी शुक्र ही हैं और मंत्री बुध, इसलिए साफ है कि सौम्य नाम का यह संवत्सर लोगों में खुशहाली भी लाएगा।
गिरीशानंद महाराज ने बताया राजा और मंत्री वाले ग्रहों में मित्रता होने के कारण देश में चल रहे आर्थिक विवादों में कमी आएगी। इसके साथ ही प्रशासनिक और न्याय तंत्र में मजबूती आएगी।
ब्रह्माजी ने इसी दिन शुरू की थी सृष्टि की रचना
पंचांगविद् पं. प्रमोद शुक्ला ने बताया गुड़ी पड़वा पर तमिलनाडु में पुथांडु, असम में बीहू, पंजाब में वैशाखी के साथ ही ओडिशा और प. बंगाल में भी नववर्ष मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा को चैत्रीय नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही कल्पादि, सृष्ट्यिादि या युगादि पर्व भी कहा जाता है।
शास्त्रों में मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। भगवान विष्णु ने इसी दिन मत्स्य अवतार लिया था। संभवत: यही कारण है कि इस दिन को मंगल कार्यों के लिए अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित चंद्रभूषण व्यास ने बताया उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने कालगणना के लिए इसी दिन से नव संवत्सर की शुरुआत की थी, इसी कारण इसे विक्रम संवत् कहते हैं।
नवसंवत्सर पर सर्वार्थ सिद्धि योग भी आ रहा है। यह योग शाम 6.16 बजे से रात 11.23 बजे तक रहेगा। इस बार चैत्रीय नवरात्रि में द्वितीया और तृतीया एक ही दिन आने के कारण पर्व आठ दिनों का होगा।