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Astrology

साल का पहला शनि प्रदोष कल, संतान प्राप्ति का खास व्रत

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 5 2016 1:30PM | Updated Date: Feb 5 2016 1:30PM
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प्रदोष भगवान शिव का खास व्रत है। इनमें सोम, मंगल और शनिवार को आने वाले प्रदोष का विशेष महत्व है। इस बार साल का पहला शनि प्रदोष 6 फरवरी को आएगा। संतान प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत अहम है। इसके बाद अगला प्रदोष भी शनिवार (20 फरवरी) को ही होगा। वैसे पूरे साल में पांच शनि प्रदोष होंगे, जबकि सोम प्रदोष तीन और भौम (मंगल) प्रदोष दो ही होंगे।

ज्योतिषाचार्य चंद्रभूषण व्यास ने बताया शास्त्रों में कहा गया है कि शनि प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं, इसके साथ ही शनि देव की कृपा मिलती है और उनके अशुभ प्रभाव से भी बचाव होता है।  पं. दीक्षित ने बताया इस दिन व्रत रखकर सुबह भगवान शिव और इसके बाद शनि देव की पूजा करना चाहिए। शाम को रात होने से पहले गोधूलि बेला में शिव और शनि की पूजा करने से व्रत पूरा होता है। 

दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें
ज्योतिषी मनोज व्यास ने बताया इस दिन ग्यारह बार दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि के अशुभ प्रभाव से जीवन में आ रही परेशानी कम हो जाती है। इसी तरह यह व्रत संतान प्राप्ति की मनोकामना पूरी करने वाला माना जाता है।
 
प्रदोष पूजा का समय : शाम 6.13 से रात 8.48 बजे तक 
सालभर के खास प्रदोष व्रत
शनि प्रदोष- 5, सोम प्रदोष- 3, भौम प्रदोष-2 । 
 
त्रयोदशी पर होता है प्रदोष काल
ज्योतिषी श्रीराम दीक्षित ने बताया प्रदोष व्रत चंद्र मास की दोनों त्रयोदशी के दिन किया जाता है, जिनमें से एक शुक्ल पक्ष के समय और दूसरा कृष्ण पक्ष में आता है। जिस दिन त्रयोदशी तिथि प्रदोष काल के समय व्याप्त होती है, उसी दिन प्रदोष का व्रत किया जाता है। प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारंभ हो जाता है। जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ-साथ होते हैं, तो वह समय शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस बार 6 फरवरी को प्रदोष काल शाम 6.13 से रात 8.48 बजे तक रहेगा।
 
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