इंदौर। परमात्मा ने हमें मनुष्य बनाकर भारत भूमि पर जन्म दिया, यही सबसे बड़ा उपहार है। संसार में हमें हर दिन अनेक महाभारत झेलना पड़ती हैं। मन में प्रतिदिन नए-नए कुरुक्षेत्र के मैदान बनते और बिगड़ते रहते हैं। भागवत मोक्ष की कथा है, जो स्वयं भगवान की वाणी है। मोक्ष ही हमारे जीवन की मंजिल है।
उक्त विचार भागवताचार्य पं. कृष्णकांत शास्त्री ने संगम नगर श्रीराम वाटिका के पास चल रही भागवत कथा में शुक्रवार को व्यक्त किए। उन्होंने कहा जन्म-जन्मांतर के भटकावभरी यात्रा से मुक्ति के लिए हमें भी परीक्षित की तरह किसी शुकदेव की शरण लेना चाहिए। तभी ज्ञान मिलेगा और ज्ञान से ही विचार व चिंतन का मार्ग प्रशस्त होता है।