13 अक्टूबर से शुरू हो रहे नवरात्र का यह पर्व शक्ति की साधना का विशेष पर्व माना जाता है। इस समय मन पूरी इच्छा शक्ति के साथ मातारानी की साधना करने के लिए प्रबल रहता है। ज्योतिषाचार्य पण्डित बालाराम व्यास बताते है कि परम्परा और शास्त्रों के अनुसार मानव जीवन में प्रगति तथा उन्नति के लिए शक्ति की साधना पुराणों में बताई गई है। तंत्र, मंत्र की सिद्धि, इच्छित सफलता की प्राप्ति आदि के लिए इन नवरात्रों में अलग-अगल साधनाएं बताई गई है। हर दिन की साधना विशेष प्रदाता बताई गई है। इसलिए साधन नवरात्रि के समय साधना में लीन रहते हुए दिखाई देते है। पण्डित व्यास का कहना है कि 9 दिनों की नवरात्रि में 9वें दिन 9 कन्याओं को भोजन कराकर उनकी पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। मां भगवती की आराधना करने से अल्पमृत्यु, गृहदोष, अशांति, भय एवं विवाह में विलम्ब होना आदि बाधाएं दूर हो जाती है। प्राचीन कथानुसार तत्व रूप से परमात्मा शक्ति एक ही प्राचीन काल में जब असुरों का आतंक बढ़ने से देव व ऋषि भयभीत हो गए थे। तब भागवत गीता के श्लोक यदा यदा ही धर्मस्य के अनुसार जब-जब अत्याचार बढ़ता है तब-तब शक्ति को प्रकट होकर असुरों का नाश किया है।
वर्ष में चार नवरात्रि
पण्डित व्यास के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती है। जिसमें दो प्रकट और दो गुप्त नवरात्रि होती है। प्रकट नवरात्रि में चौत्र मास तथा अश्विन मास की नवरात्रि विशेष मानी जाती है। प्राकृतिक सिंद्धात के अनुसार अश्विन मास में ऋतु परिवर्तन का अनुुक्रम बनता है। साथ ही सूर्य, चन्द्रमा, बुध, शुक्र इन ग्रहों पर ऊर्जा का विशेष प्रभाव लागू रहता है।
सात दिन रहेगा शुभ संयोग
13 अक्टूबर से शुरू होने वाले नवरात्र में इस बार 7 दिनों तक शुभ संयोग रहेगा। साथ ही प्रतिपदा की वृद्धि से श्रेष्ठ च समृद्धिकारक रहेगी। इस बार ग्रह चाल औरसूर्य चन्द्रमा की गति के कारण नवरात्र व्यापारियों के लिए उन्नति दायक आम जनता के लिए खुशहाली व राजनेताओं के लिए शुभ परिणाम देने वाले होंगे।
नवमी और दशहरा एक ही दिन
13 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक तिथियों का गणनाक्रम कम अथवा अधिक अवस्था में ज्ञात हो रहा है। चुकी तिथि के आधार पर दिन की गणना की विशेष मानी जाती है। नवमी के दिन अपराह्न व्याप्त दशमी तिथि धर्मशास्त्र के अनुसार दशहरे की मान्यता रहेगी। इसलिए दशहरा 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा और नवरात्रि 9 दिन की ही रहेगी।