28 Mar 2024, 14:38:28 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Astrology

इच्छित फल प्रदान करेगी जन्माष्टमी

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 1 2015 6:31PM | Updated Date: Sep 1 2015 6:34PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म पृथ्वी वासियों के लिए प्रारंभ से ही शुभ रहा है। जब भी भगवान के भक्तों पर कोई विपत्ति आई है तब-तब कृष्ण भगवान ने उस विपदा को खत्म किया है। इसका एक उदाहरण हम अभी भी देख सकते हैं। पिछले कुछ दिनों से पृथ्वीवासी एक शुभ योग की प्रार्थना कर रहे थे तो भगवान श्रीकृष्ण ने अपने जन्म दिवस के शुभ अवसर पर एक नहीं बल्कि कई शुभ योगों का निर्माण कर दिया है।
 
आगामी 5 सितम्बर 2015 को वैसे तो जन्माष्टमी का पवित्र त्यौहार है किन्तु इस दिन काफ़ी सालों बाद एक साथ इतने शुभ योगों का भी निर्माण हो रहा है। 5 सितम्बर का दिन, तिथि, वार, नक्षत्र और ग्रहों के अनुसार बहुत खास है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग के साथ कई अन्य शुभ योगों का विशेष संयोग बन रहा है।
 
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार रोहिणी नक्षत्र का निर्माण हो रहा है यह नक्षत्र शास्त्रों में शुभ बताया गया है क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म इसी नक्षत्र में, भादों के माह में हुआ था। 5 सितम्बर को सुबह 6.10 बजे से सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग भी शुरू होंगे, जो रात्रि 2.05  तक रहेंगे।
 
इस जन्माष्टमी पर बन रहे सर्वार्थ सिद्धि योग का विशेष महत्त्व है। इस योग में किसी भी कार्य का अगर शुभारंभ किया जाये तो वह शुभ माना जाता है। निश्चित वार और निश्चित नक्षत्र के संयोग से बनने वाले शुभ और अशुभ योगों में सर्वार्थ सिद्धि योग जैसा शुभ योग बनता है। यह योग सभी इच्छाओं तथा मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है।
 
ज्योतिषियों के अनुसार कोई भी नया कार्य जोकि सर्वार्थ सिद्धि योग में प्रारम्भ किया जाता है वह निश्चित ही सफलतापूर्वक सम्पन्न होता है तथा इच्छित फल प्रदान करता है। पुराने समय से यदि कोई कार्य रूका हुआ है या उस कार्य में बाधा उत्पन्न हो रही हैं तो भगवान श्रीकृष्ण जी की इस योग में पूजा करने से पीड़ा का अंत किया जा सकता है।
 
वहीँ दूसरी तरफ अमृत योग धन से संबंधित सभी परेशानियों को खत्म करने वाला माना जाता है। इस अमृत योग में अगर श्रीकृष्ण जी के साथ, धन की देवी लक्ष्मी जी की आराधना अगर कर ली जाये तो यह धन संबंधित समस्याओं का अंत कर सकती है। इन योग के अलावा इस बार जन्माष्टमी पर, वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में हर्षल योग, बालव करण तथा रोहिणी नक्षत्र भी पड़ रहे हैं। 
 
जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
पूजा समय - 23:12 से 23:58
अवधि – 0 घंटे 46 मिनट
मध्यरात्रि का क्षण- 23:35 
पारण समय- 06:31 (सूर्योदय के बाद, 6 सितम्बर 2015)
सर्वार्थ व अमृत सिद्धि योग प्रारंभ- 6:10 प्रातः से 02:05 रात्रि तक
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »