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Astrology

भारत में इस जगह हुआ था देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Nov 18 2019 11:36AM | Updated Date: Nov 18 2019 11:36AM
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समुद्र मंथन के बारे में तो आप सब ने सुना ही होगा । समुद्र मंथन की कहानी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन क्षीरसागर में हुआ था। देवताओं और राक्षसों ने मिलकर समुद्र का मंथन किया था। समुद्र मंथन में छिपे जीवन उपदेश और इस पौराणिक कथा का आध्यात्मिक संबंध है। "समुद्र मंथन आरम्भ हुआ और भगवान कच्छप के एक लाख योजन चौड़ी पीठ पर मन्दराचल पर्वत घूमने लगा। समुद्र मंथन अमृत प्राप्ति के लिए किया गया था। समुद्र मंथन हमारी पौराणिक कथाओं का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है, समुद्र मंथन देवताओं और असुरों ने मिलकर किया था, जिसमे अमृत और विष जैसी चीजों के साथ कई रत्न और माता लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ था, लेकिन क्या अप जानते हैं कि समुद्र मंथन कहां पर किया गया था, अगर नही जानते हैं तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें, आज हम आपको इसी के बारे में बताने वाले हैं।
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार देवताओं और असुरों ने मिलकर मंदराचल पर्वत को मथानी की तरह और वासुकी नाग को रस्सी की तरह उपयोग करते हुए समुद्र मंथन किया था, यह पर्वत गुजरात के दक्षिणी समुद्र में मिला है, एक वैज्ञानिक परीक्षण के अनुसार इसकी पुष्टि की गयी है, गुजरात के दक्षिणी हिस्से में पिंजरत नामक गांव है, वहीँ समुद्रतल में इसके होने की पुष्टि वैज्ञानिकों ने की है। रिसर्च के अनुसार इस पर्वत पर घिसाव के निशान साफतौर पर देखे जा सकते हैं, हालाँकि यह निशान जल तरंगों के कारण भी हो सकते थे, लेकिन कार्बन टेस्ट के बाद इसे मंदराचल पर्वत होने की पुष्टि की गयी, आमतौर पर समुद्रतल में पाए जाने वाले पर्वतों की तुलना में इस पर्वत की बनावट अलग थी, इसके साथ ही इसमें ग्रेनाईट की मात्रा भी काफी ज्यादा थी। यह पर्वत समुद्रतल से 800 मीटर की गहराई पर मिला है, यह पर्वत पिंजरत गाँव से दक्षिण दिशा में 125 किमी की दूरी पर मिला है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि यही वो स्थान है जहाँ पर समुद्र मंथन हुआ था, हम आपको बता दें कि इसी पिंजरत गाँव में 1988 में द्वारका नगरी के भी अवशेष मिले थे।
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