देव प्रबोधिनी एकादशी दिवाली के बाद आने वाला बड़ा पर्व है। इस दिन दो बड़ी मान्यता है कि भगवान विष्णु चार महीनों के शयन के पश्चात जागकर शुभ कार्यों के पुनः आरंभ की आज्ञा देते हैं और दूसरी यह कि इस दिन तुलसी विवाह संपन्न किया जाता है। विशेष रूप से कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
8 नवंबर को देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी पूजन के बाद तुलसी विवाह होगा। 4 महीने की निद्रा के बाद भगवान विष्णु कार्तिक माह की एकादशी के दिन जागते हैं, जिसके बाद सभी देवी और देवता खुशी में देव दिवाली मनाते है। इसी दिन भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तुलसी माता का विवाह भी भगवान शालीग्राम से होता है। धार्मिक शास्त्रों में इस दिन तुलसी जी का पूजन शुभ माना गया है। मनचाहे प्यार को पाने के
लिए तुलसी विवाह के दिन करें ये 5 उपाय...
1. तुलसी विवाह के दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे गाय के घी का या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
2. तुलसी विवाह के दिन ॐ
नमों भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करें।
3. तुलसी विवाह के दिन राधाकृष्ण की तस्वीर अपने शयनकक्ष में लगाएं।
4. तुलसी विवाह के दिन अविवाहित कन्याओं को चमेली के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा शीघ्र विवाह के लिए शुभ माना जाता है।
5. जिन लोगों का विवाह नहीं हुआ उन्हें सात साबुत हल्दी की गांठ, थोड़ा सा केसर थोड़ा सा गुड़ और चने की दाल किसी पीले कपड़े में बांधकर किसी विष्णु मंदिर में ले जाकर भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए और उनसे अपने विवाह के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।