हस्तरेखा शास्त्र में चिह्न का बहुत महत्व होता है। यह निशान शुभ और अशुभ दोनों तरह के संकेत देते हैं। इन्हीं से एक निशान है वाई। हाथ में रेखा के संयोजन से वाई का निशान बनता है। वाई निशान के रेखाओं पर उपस्थिति और उसका स्थान बहुत मायने रखात है। पं.शिवकुमार शर्मा के अनुसार जीवन रेखा से निकलकर कोई रेखा चन्द्र पर्वत की ओर जाती हुई यह लकीर उल्टी वाई बनाती है। यह रेखा देखने में भले ही सामान्य लगे, लेकिन व्यक्ति के जीवन में इसका बहुत अधिक प्रभाव होता है। हथेली में इस प्रकार की दो रेखाएं होती है। एक रेखा जो कि शुभ संकेत देने वाली होती है और दूसरा अशुभ संकेत देने वाली होती है।
यदि रेखा जीवन रेखा से होकर चंद्र पर्वत पर जाकर रुक जाती है। ऐसी स्थिति में बना वाई का निशान शुभ फलदायक माना जाता है। ऐसे वाई के निशान जिस व्यक्ति की हथेली में होता है वो विदेश यात्रा करते हैं। ऐसे लोग अपना व्यवसाय करते हैं और वे विदेशों तक अपना कारोबार फैलाते हैं। ऐसे लोग आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं और खुशहाल जीवन जीते हैं। जातक के हथेली की रेखा यदि जीवनरेखा से निकलकर साधारण वाई का निशान बना रही है तो इसे अशुभ माना जाता है। यह रेखा जीवन, जीवनशक्ति को कम करने वाली मानी जाती है। जिस उम्र में यह रेखा जीवन रेखा को काटती है उस उम्र में व्यक्ति की जीवनशक्ति कमजोर होने लगती है। ऐसा व्यक्ति बीमार हो जाता है।