सावन का महीना शुरू होते ही भोले के भक्त कांवड़ यात्रा उठाकर जलाभिषेक करने के लिए प्रस्थान करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यह महीना बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता हैं वही सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता हैं, ऐसे में भोलेनाथ का हर भक्त उन्हें प्रसन्न करके अपनी सभी इच्छाओं को पूरा करना चाहता हैं इस खास महीने लाखों भक्त दूर देर से आकर कांवड़ यात्रा में शामिल होते हैं वही कांवड़ यात्रा में शामिल होने वाले श्रद्धालु अपनी कांवड़ में गंगाजल भरकर शिव का जलाभिषेक करने के लिए प्रस्थान करते हैं।
वही सावन माह में भगवान शिव के जलाभिषेक का विशेष महत्व बताया गया हैं ऐसा भी माना जाता हैं कि जलाभिषेक करने से भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न होकर उनकी सभी मुरादें पूरी करते हैं वही कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तों के लिए कुछ खास नियम होते हैं।
भगवान शिव को गंगाजल अर्पण करने से पहले किसी भी कांवड़ को भूमि पर नहीं रखना चाहिए। इसके पीछे यह मान्यता हैं कि जलस्त्रोत को सीधा प्रभु से जोड़ा गया हैं हर कांवड़ की निरंतर यात्रा की तरह प्रभु की कृपा भी उनके ऊपर प्राकृतिक रूप से बनी रहती हैं। वही कांवड़ यात्रा के दौरान जल भरने के लिए उपयोग किया जाने वाला जल का पात्र कही से टूटा फूटा या पहले से उपयोग किया हुआ नहीं होना चाहिए।