आषाढ़ी पूर्णिमा गुरु पूर्णिमा के रूप में 16 जुलाई मंगलवार को मनाई जाएगी। आषाढ़ पूर्णिमा व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जानी जाती है। मान्यता है कि आज के दिन महर्षि वशिष्ठ के पौत्र और पाराशर ऋषि के पुत्र तथा शुकदेव के पिता वेदव्यास जी का प्राकट्य हुआ था। अतःयह पूर्णिमा व्यास जी को समर्पित एक पवित्र पर्व के रूप में मनाई जाती है।
गुरु व्यास 28 वें व्यास थे, जोकि द्वापर युग में हुए थे। उन्होंने चतुर्वेदो के अतिरिक्त 18 पुराण, उपपुराण, महाभारत और व्यास संहिता जैसे आदि ग्रंथों का लेखन किया था। भगवान वेद व्यास अजर अमर माने गए हैं तथा उनकी महत्ता इससे प्रतिपादित होती है कि भगवान श्री कृष्ण ने गीता में भी उनका स्मरण किया है। गुरु पूर्णिमा के दिन हमें अपने गुरु में आदिगुरु वेद व्यास जी का स्वरूप देखते हुए उनका पूजन अर्चन गुरु विधान से करना चाहिएl
गुरु पूर्णिमा के शास्त्रोक्त मुहूर्त
16 जुलाई मंगलवार के दिन पूर्णिमा तिथि का संचरण अहोरात्र रहेगा। उत्तराषाढ़ा में गुरु पूर्णिमा का पर्व संपन्न होगा। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का संचरण शनि की राशि मकर में होने से गुरुपर्व विशिष्ट हो गया है। इस दिन के विशेष पूजन मुहूर्त में अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:45 से लेकर 12:37 बजे तक रहेगा। इसके पश्चात गोधूलि बेला में अन्य शुभ मुहूर्त शाम 5:50 बजे से लेकर 7:30 बजे तक गुरु पूजन हेतु विशिष्ट है।
इस वर्ष की गुरु पूर्णिमा में खण्डग्रास चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। इस चंद्र ग्रहण का सूतक 16 जुलाई को सायं 04:31 बजे से प्रारंभ हो जाएगा। गुरु पूर्णिमा से संबंधित सभी धार्मिक कृत्य एवं पूजन इत्यादि सायं 04 31 के पूर्व कर लेना शास्त्र सम्मत माना जाएगा।
इस वर्ष की गुरु पूर्णिमा मंगल के दिन होने से भगवान वेदव्यास के अलावा देवगुरु बृहस्पति, भगवान विष्णु एवं हनुमान जी सहित अपने गुरु की पूजा अर्चना करते हुए श्रद्धा भाव से वस्त्र ,अनाज, फूल एवं दक्षिण आदि देकर गुरु का सम्मान करना चाहिए।
ज्योतिर विद राजेश साहनी