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Astrology

मां लक्ष्मी में अष्ट लक्ष्मी के आठ स्वरूप के बारे में जानें

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 14 2019 1:54AM | Updated Date: Jun 14 2019 1:54AM
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शास्त्रों में वर्णन किया गया है कि महालक्ष्मी के आठ स्वरूप हैं।  लक्ष्मी जी के ये आठ स्वरूप जीवन की आधारशिला हैं।  इन आठों स्वरूपों में लक्ष्मी जी जीवन के आठ अलग-अलग वर्गों से जुड़ी हुई हैं।  लक्ष्मी के इन आठ स्वरूपों की साधना करने से मानव जीवन सफल हो जाता है।  अष्ट लक्ष्मी की साधना करने से जीवन में धन का अभाव समाप्त हो जाता है।  जातक कर्ज के चक्रव्यूह से बाहर आ जाता है।  आयु में वृद्धि होती है, बुद्धि कुशाग्र होती है, समाज में सम्मान मिलता है और सेहत अच्छी रहती है

1।  श्री आदि लक्ष्मी – ये जीवन के प्रारंभ और आयु को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं।।
2।  श्री धान्य लक्ष्मी – ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं क्लीं।।
3।  श्री धैर्य लक्ष्मी – ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
4।  श्री गज लक्ष्मी – ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।
5।  श्री संतान लक्ष्मी – ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।
6।  श्री विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ क्लीं ॐ।।
7।  श्री विद्या लक्ष्मी – ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ ऐं ॐ।।
8।  श्री ऐश्वर्य लक्ष्मी – ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – ॐ श्रीं श्रीं।।
कैसे करें पूजन:
अष्ट लक्ष्मी की पूजा शुक्रवार की रात करनी चाहिए।  इनकी पूजा रात 9 बजे से 10 बजे के बीच होती है। 
इनकी पूजा हमेशा गुलाबी कपड़े पहनकर और गुलाबी आसन पर बैठकर ही करें। 
गुलाबी कपड़े पर श्री यत्र और अष्ट लक्ष्मी की तस्वीर स्थापित करें। 
किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीप जलाएं। 
गुलाब के सुगंध की अगरबत्ती जलाएं और लाल फूल और लाल माला चढ़ाएं। 
मावे की बर्फी का भोग लगाएं। 
अष्ट गंध से श्री यंत्र और अष्ट लक्ष्मी पर तिलक लगाएं। 
कमल गट्टे की माला हाथ में लेकर ‘ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नम: स्वाहा।।’
इस मंत्र का 108 बार जाप करें। 
जाप पूरा होने के बाद आठों दीप को घर के आठ दिशाओं में स्थापित कर दें। 
कमलगट्टे की माला को तिजोरी में स्थापित करें।  यदि कमलगट्टे की माला नहीं है तो कमलगट्टे को हाथ में रख कर भी आप मंत्रों का जाप कर सकते हैं और उसे फिर तिजोरी में रख दें। 
इस उपाय से जीवन के आठों वर्ग में आपको सफलता प्राप्त होगी। 
 
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