हिन्दु धर्म का वृक्षों से विशेष संबंध है। साथ ही ज्योतिष व वास्तुशास्त्र में भी वृक्ष का विशेष महत्व है। वृक्षों का इतना महत्व होता है कि जो पुण्य, अनेकों यज्ञ कराने या देव आराधना से प्राप्त नहीं होते वह वृक्षारोपण के माध्यम से प्राप्त होता है। वृक्षों से कई प्रकार की सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। वहीं यदि अज्ञानवश कुछ ऐसे पौधे रोपित हो जाएं, जिनसे नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हो तो वे गृहस्वामी के लिए हानिकारक भी हो सकते हैं। जैसे कि कांटे वाले पेड़ शत्रु से भय देने वाले, दूध वाले धन का नाश करने वाले तथा फल वाले वृक्ष संतान को नुकसान पहुंचाते हैं। इन अशुभ वृक्षों का फल कुछ शुभ वृक्ष लगाकर खत्म कर सकते हैं। पूर्व दिशा में वट वृक्ष कामना पूरी करता है। आंगन में अनार शुभ है। दक्षिण में गूलर, इमली व कंदभ शुभ है। पश्चिम में पीपल, उत्तर में प्लकक्ष, ईशान में आंवला व ईशान-पूर्व में कटहल व आम शुभ फल देता है। पौधे को अपनी राशि के अनुसार लगाने पर ईष्ट सिद्धि होती है। ये पौधे अपने भवन के आसपास कहीं भी लगा सकते हैं। मिथुन राशि के जातकों को पेड़ के नीचे बुध ग्रह के मंत्र जाप करने चाहिए। मीन राशि के जातकों को महालक्ष्मी मंत्र का जाप वृष व तुला राशि के जातकों को पलाश के नीचे शुक्र के मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए।