रामनवमी 13 अप्रैल को इस वर्ष चैत्र नवरात्रों के क्रम में रामनवमी का पर्व 13 अप्रैल को मनाया जा सकेगा लेकिन नवरात्र व्रत का पारण 14 अप्रैल को किया जाना शास्त्र सम्मत होगा। मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र, मध्यान्ह व्यापनी चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि,कर्क राशि एवम कर्क लग्न में हुआ था। अतः जिस दिन चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी मध्यान काल में पड़ती है उसी दिन श्री राम नवमी का व्रत किया जाना चाहिए । इस वर्ष 13 अप्रैल को प्रातः 11:41 तक अष्टमी तिथि व्याप्त रहेगी तत्पश्चात नवमी का प्रवेश हो जाएगा। नवमी तिथि उदया तिथि के रूप में 14 अप्रैल को प्रातः 9:36 तक रहेगी। 14 अप्रैल को नवमी मध्यान्ह के पूर्व ही समाप्त हो रही है,अतः रामनवमी अर्थात भगवान राम का जन्म उत्सव 13 अप्रैल को मध्यान काल में मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा। चूंकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का जन्म नवमी तिथि को कर्क लग्न में हुआ था,तथा 13 अप्रैल को मध्यान काल में कर्क लग्न 11:34 से 1:51 तक रहेगी, इसी अवधि में नवमी तिथि भी व्याप्त रहेगी। भगवान राम की जन्म राशि कर्क भी इसी दिन दिन रात संचरण करेगी। 13 अप्रैल को पुनर्वसु नक्षत्र प्रातः 8:59 पर समाप्त हो जाएगा तथा पुष्य नक्षत्र का प्रवेश होगा। इस प्रकार से श्री राम नवमी व्रत का प्रमुख कर्म काल मध्यान्ह व्यापिनी नवमी 13 अप्रैल दिन शनिवार को प्राप्त हो रहा है। लेकिन नवरात्रों में उदया तिथि का महत्व माना गया है,14 अप्रैल को नवमी तिथि उदया के रूप में प्रातः 9:36 तक रहेगी। इस प्रकार नवरात्र व्रत ओं के क्रम में अष्टमी व्रत तथा कुल परम्परा अनुसार अष्टमी का कन्या पूजन 13 अप्रैल को किया जाना शास्त्र सम्मत होगा, तथा जो लोग नवमी तिथि को कन्या पूजन करते हैं वह 14 अप्रैल को कन्या पूजन तथा हवन करते हुए नवरात्र व्रत व्रतों का पारण करें। इस प्रकार से नवरात्र व्रत का पारण 14 अप्रैल रविवार को होगा तथा जवारा विसर्जन इत्यादि कृत्य उदया दशमी में 15 अप्रैल को किया जाना शास्त्रीय मर्यादाओं के अनुकूल होगा।। ज्योतिर्विद राजेश साहनी