होलिका दहन रात्रि भारतीय धर्म में माने जाने वाली चार महारात्रियो में से एक मानी गई है। होलिका दहन की रात्रि को दारूण रात्रि की संज्ञा प्राप्त है जो कि साधना उपासना के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण मानी गई है। तंत्र शास्त्र की मान्यताएं हैं कि दारुण रात्रि के निशीथ काल में अर्थात रात्रि 12:00 बजे के पश्चात की जाने वाली तंत्र साधनाएं शीघ्र फलीभूत होती है। यही कारण है कि तंत्र शास्त्र के जानकार लोग इस रात का बेसब्री से इंतजार करते हैं तथा तांत्रिक क्रियाओं को अंजाम देते हैं।
विशिष्ट पूजा हेतु महानिशीथ काल रात्रि 11:40 से रात्रि 12:55 मिनट तक रहेगा।
*ज्योतिर्विद राजेश साहनी रीवा*
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